📚फ़र्ज़ उलुम 62
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 62
بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
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🔸 ईमान और कुफ़्र का बयान (पार्ट 3)🔸
🍃सवाल🍂: अगर किसी को इकराह (मजबूर) किया गया कि वो कलमाए कुफ़्र बोले वरना क़त्ल कर दिया जाएगा तो क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: अगर معاذاللہ कलमाए कुफ़्र जारी करने पर कोई शख़्स मजबूर किया गया यानी उसे मार डालने या उस का आ'जू काट डालने की सहीह धमकी दी गई कि येह धमकाने वाले को इस बात के करने पर कादिर समझे तो ऐसी हालत में इसको रुखसत दी गई है कि ज़बान से कलमाए कुफ़्र कह दे मगर शर्त येह है कि दिल में वही इत्मिनाने ईमानी हो जो पेश्तर था, और अफ़ज़ल जब भी यही है कि क़त्ल हो जाए मगर कलमाए कुफ़्र न कहे।
🍃सवाल🍂: क्या ईमान व कुफ़्र के दरमियान कोई वास्ता है?
🍂जवाब🍃: ईमान व कुफ़्र में वास्ता नहीं यानी आदमी या मुसलमान होगा या काफिर तीसरी सूरत कोई नहीं कि न मुसलमान हो न काफिर।
🍃सवाल🍂: मुर्तद से क्या मुराद है?
🍂जवाब🍃: मुर्तद वो शख़्स है कि इस्लाम के बाद कुफ़्र की तरफ फीर जाए यानी किसी ऐसे अम्र का इन्कार करे जो ज़रूरियाते दीन से है, उसके इस फैल को इर्तिदाद कहते है।
🍃सवाल🍂: मुनाफ़िक़ किसे कहते है?
🍂जवाब🍃: जो शख़्स ज़बान से दावा इस्लाम करे और दिल मे इस्लाम का मुनकिर हो उसे मुनाफ़िक़ कहते है। उसके इस फैल को निफ़ाक़ कहते है।
🍃सवाल🍂: मुशरिक से क्या मुराद है?
🍂जवाब🍃: जो शख़्स ग़ैरे खुदा को वाजिबुल वुजूद या इबादत के लायक जाने वो मुशरिक है और येह कुफ़्र की सबसे बदतर किस्म है। उस शख़्स के इस फैल को शिर्क कहते है।
अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ
📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ
🌹ख़ानक़ाह ए अशरफ़ीया सरकार ए बुरहानपुर🌹
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