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Thursday, June 4, 2020

ईमान और कुफ़्र का बयान पार्ट- 2

📚फ़र्ज़ उलुम 61
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 61

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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🔸 ईमान और कुफ़्र का बयान (पार्ट 2)🔸

🍃सवाल🍂: क्या मोमिन होने के लिए सिर्फ दिल से तस्दीक काफी है या ज़बान से इक़रार भी ज़रूरी है?
🍂जवाब🍃: असले ईमान सिर्फ तस्दीक का नाम है, रहा इक़रार इसमें ये तफसील है कि अगर तस्दीक के बाद इसको इज़हार का मौका न मिला तो इन्दल्लाह (अल्लाह तआ़ला के नज़दीक) मोमिन है और अगर मौका मिला और उससे मुतालबा किया गया और इक़रार न किया तो काफिर है और अगर मुतालबा न किया गया तो अहकाम दुनिया में काफिर समझा जाएगा न उसके जनाज़े की नमाज़ पढेंगे न मुसलमानों के कब्रस्तान में दफ़न करेंगे मगर इन्दल्लाह मोमिन है अगर कोई अम्र ख़िलाफ़े इस्लाम ज़ाहिर न किया हो।

🍃सवाल🍂: क्या आमाले बदन ईमान का हिस्सा है?
🍂जवाब🍃: आमाले बदन तो असलन ईमान का जुज़व नहीं।

🍃सवाल🍂: क़ाफ़िर असली किसे कहते है?
🍂जवाब🍃: जो इस्लाम न लाए उसे काफिर कहते है।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

🌹ख़ानक़ाह ए अशरफ़ीया सरकार ए बुरहानपुर🌹

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