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Thursday, June 4, 2020

ईमान और कुफ़्र का बयान पार्ट- 1

📚फ़र्ज़ उलुम 60
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 60

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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🔸 ईमान और कुफ़्र का बयान (पार्ट 1)🔸

🍃सवाल🍂: ईमान व कुफ़्र किसे कहते है?
🍂जवाब🍃: ईमान उसे कहते है कि सच्चे दिल से उन सब बातों की तस्दीक करे जो जरूरियाते दीन है और किसी एक ज़रूरियाते दीनी के इन्कार को कुफ़्र कहते है अगर्चे बाकी तमाम ज़रूरियात की तस्दीक करता हो। 

🍃सवाल🍂: ज़रूरियाते दीन से क्या मुराद है?
🍂जवाब🍃: ज़रूरियाते दीन वो मसाइले दीन है जिनको हर ख़ास व आम जानते हो, जैसे अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की वहदानियत, अम्बिया की नुबुव्वत, जन्नत व नार, हश्र व नश्र वगैहरा, मसलन येह ए'तिकाद कि हुज़ूरे अक़दस ﷺ खतमुन्नबीय्यिन है हुज़ूर ﷺ के बाद कोई नया नबी नहीं हो सकता। अवाम से मुराद वो मुसलमान हैं जो तबक़ाए उलमा में न शुमार किए जाते हो मगर उलमा की सोहबत से शर्फ़याब हो और मसाइले इल्मिय्या से ज़ोक रखते हो, न वो कि जो जंगल और पहाड़ों के रहने वाले हों जो कलमा भी सहीह नहीं पढ़ सकते कि ऐसे लोगो का ज़रूरियाते दीन से नावाक़िफ़ होना उस ज़रूरी को गैर ज़रूरी न कर देगा, अलबत्ता इनके मुसलमान होने के लिए येह बात ज़रूरी है कि ज़रूरियाते दीन के मुनकिर न हो और ए'तिक़ाद रखते हो कि इस्लाम में जो कुछ है हक़ है, इन सब पर इज्मालन ईमान लाए हों।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

🌹ख़ानक़ाह ए अशरफ़ीया सरकार ए बुरहानपुर🌹

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