📚फ़र्ज़ उलुम 59
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 59
بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
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✒तक़दीर का बयान (पार्ट 2)✒
🍃सवाल🍂: तक़दीर के मामलात में ज्यादा ग़ौरो फिक्र करनी चाहिए या नहीं?
🍂जवाब🍃: क़ज़ा व क़द्र के मसाइल आम अक़्लों में नहीं आ सकते, इन मे ज्यादा ग़ौरो फिक्र करना सबबे हलाकत है, सिद्दीक़ व उमर رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُما इस मसअले में बहस करने से मन्अ फरमाए गए।
मा व शुमा (हम और तुम) किस गिनती में! इतना समझ लो कि अल्लाह तआ़ला ने आदमी को मिस्ले पत्थर और दीगर जमादात के हिस्सो हरकत नहीं पैदा किया बल्कि उसको नौए इख्तियार (एक तरह का इख्तियार) दिया है कि एक काम चाहे करे चाहे न करे और इसके साथ ही अक़्ल भी दी है कि भले, बुरे, नफ़्अ, नुकसान को पहचान सके और हर किस्म के समान और असबाब मुहय्या कर दिए है कि जब कोई काम करना चाहता है उसी किस्म के समान मुहय्या हो जाते है और उसी लअईद उस पर मुवाख़ज़ा है।
🍃सवाल🍂: तक़दीर के इन्कार करने वालो का क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: तक़दीर के इन्कार करने वालो को नबी ﷺ इस उम्मत का मजूस बताया है।
तक़दीर का बयान मुकम्मल हुआ انشاءاللہ अब फ़र्ज़ उलूम (अक़ाइद के बयान) में ईमान व कुफ़्र का बयान पोस्ट होगा।
📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ
🌹ख़ानक़ाह ए अशरफ़ीया सरकार ए बुरहानपुर🌹
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