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Sunday, November 15, 2020

हयातुल अम्बिया पार्ट - 1

📚फ़र्ज़ उलुम 96
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 96

              بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌺हयातुल अम्बिया (पार्ट 1)🌺

🍃सवाल🍂: क्या हमारे नबी ﷺ और दीगर अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام ज़िंदा है?
🍂जवाब🍃: जी हाँ! रसूलअल्लाह ﷺ और तमाम अम्बियाए किराम हयाते हक़ीकी दुनयावी रूहानी जिस्मानी से ज़िन्दा है, अपने मज़ाराते तय्यबा में नमाज़े पढ़ते है, रोज़ी दिए जाते है, जहां चाहे तशरीफ़ ले जाते है, ज़मीन व आसमान की सल्तनत में तसर्रुफ़ फरमाते हैं।
अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام अपनी अपनी क़ब्रों में उसी तरह बहयाते हक़ीकी ज़िन्दा है, जैसे दुनिया में थे, खाते-पीते है, जहां चाहे आते जाते है, तस्दीके वादाए इलाहिया के लिए एक आन को उनपर मौत तारी हुई, फिर बदस्तूर ज़िन्दा हो गए, उनकी हयात , हयाते शोहदा से बहुत अरफ़ा व आला है, फ़िल्हाज़ा शोहदा का तर्का तक़सीम होगा, उसकी बीवी बादे इद्दत निकाह कर सकती है, ब खिलाफ अम्बिया के, कि वहां येह जाइज़ नहीं।

🔸 हयाते अम्बिया पर कुछ दलाईल

● मुर्दा न कहो:
अल्लाह तआला क़ुरआन मजीद में इरशाद फरमाता है: और जो खुदा की राह में मारे जाए उन्हें मुर्दा न कहो बल्कि वो ज़िन्दा है हाँ तुम्हें खबर नही।

● मुर्दा ख्याल भी न करो:
एक दूसरे मकाम पर इरशाद फरमाता है: और जो अल्लाह की राह में मारे गए हरगिज उन्हें मुर्दा न ख्याल करना बल्कि वो अपने रब के पास ज़िन्दा है रोज़ी पाते हैं।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

🌹ख़ानक़ाह ए अशरफ़ीया सरकार ए बुरहानपुर🌹

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