📚फ़र्ज़ उलुम 93
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 93
بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
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💫इल्मे ग़ैब (पार्ट 3)💫
🔸 ग़ैब बताने में बखील नहीं:
अल्लाह तआला फरमाता है:
{وَ مَا هُوَ عَلَى الْغَیْبِ بِضَنِیْنٍۚ}
तर्जुमा : और येह नबी ग़ैब बताने में बखील नहीं।
(पारह 30, सूरह तकवीर, आयात 24)
तफसीरे खाज़िन और तफसीरे बग्वी में इस आयते करीमा के तहत लिखा है: नबी करीम ﷺ के पास इल्मे ग़ैब आता है, पस वो इसमें बुखल नहीं करते बल्कि तुम्हें सिखाते है और इसकी खबर देते है।
🔹इब्तिदाए ख़ल्क़ से दुखुले जन्नत व नार तक:
सहीह बुख़ारी शरीफ में हज़रत अमीरुल मोमिनीन उमर फ़ारूक़ رضی اللہ تعالٰی عنه से मरवी है: एक बार सय्यदे आलम ﷺ ने हम में खड़े होकर इब्तिदाए आफ़रीनश से लेकर जन्नतियों के जन्नत और दोज़खीयों के दोज़ख़ में जाने तक का हाल हमसे बयान फरमा दिया, याद रखा जिसने याद रखा और भूल गया जो भूल गया।
🔸एक मजलिस में हर चीज़ का बयान मोअजज़ा है:
हाफ़िज़ इब्ने हजर असकलानी رحمۃاللہ تعالیٰ علیہ इस हदीसे पाक के तहत फरमाते है: येह हदीस पाक इसकी दलील है कि रसूलअल्लाह ﷺ ने एक ही मजलिस में तमाम मख़लूक़ के अहवाल जबसे खलकत शुरू हुई और जब तक फ़ना होगी और जब उठाई जाएगी सब बयान फरमा दिया और येह बयान मुबदआ (मख़लूक़ के आगाज़े पैदाइश), माआश (रहने सहने) और माआद (क़यामत के दिन उठने) सबको मुहित था, इन सबको खरके आदत एक ही मजलिस में बयान कर देना निहायत अज़ीम मोअजज़ा है।
अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ
📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम 2
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ
🌹ख़ानक़ाह ए अशरफ़ीया सरकार ए बुरहानपुर🌹
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