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Thursday, June 25, 2020

कुफ़्रिया कलिमात का बयान पार्ट- 4

📚फ़र्ज़ उलुम 67
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 67

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 ⭕कुफ़्रिया कलिमात का बयान (पार्ट 4)⭕

जारी....

📌(8) क़ुरआन की किसी आयात को ऐब लगाना या उसके साथ मसखरापन करना कुफ़्र है मसलन दाढ़ी मुंढाने से मना करने पर अक्सर दाढ़ी मूढ़े कह देते है { َکَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُوْن } जिसका ये मतलब बयान करते है कि कल्ला साफ करो ये क़ुरआन मजीद की तहरीफ़ व तब्दील भी है और इसके सफ़ह मज़ाक और दिल लगी भी और ये दोनों बातें कुफ़्र, इसी तरह अक्सर बातों में क़ुरआन मजीद की आयतें बे मौका पढ़ दिया करते है और मक़सूद हँसी करना होता है जैसे किसी को नमाज़ जमाअत के लिए बुलाया, वो कहने लगा में जमाअत से नहीं बल्कि तन्हा पढूंगा क्योंकि अल्लाह तआ़ला फरमाता है: {اِنَّ الصَّلٰوۃَ تَنْھٰی} ।
📌(9) इस किस्म की बात करना जिससे नमाज़ की फ़र्ज़िय्यत का इन्कार समझा जाता हो या नमाज़ की तहक़ीर  (तौहीन) होती हो कुफ़्र है मसलन किसी ने नमाज़ पढ़ने को कहा उसने जवाब दिया नमाज़ पड़ता तो हूँ मगर उसका कुछ नतीज़ा नहीं या तुमने नमाज़ पढ़ी क्या फायदा हुआ या कहा नमाज़ पढ़ के क्या करूँ किसके लिए पढूं माँ बाप तो मर गए या कहना बहुत पढ़ ली अब दिल घबरा गया या कहा पढ़ना न पढ़ना दोनों बराबर है। यूँही कोई शख़्स सिर्फ रमज़ान में नमाज़ पढ़ता है बाद में नहीं पढ़ता और कहता ये है कि यही बहुत है या जितनी पढ़ी यही ज्यादा है क्योंकि रमज़ान में एक नमाज़ सत्तर नमाज़ के बराबर है ऐसा कहना कुफ़्र है इसलिए कि इससे नमाज़ की फ़र्ज़िय्यत का इन्कार मालूम होता है।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

🌹ख़ानक़ाह ए अशरफ़ीया सरकार ए बुरहानपुर🌹

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