📚फ़र्ज़ उलुम 74
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 74
بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
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⭕सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم (पार्ट 2)⭕
🍃सवाल🍂: किसी सहाबी के साथ (معاذاللہ) बुग्ज़ रखना कैसा है?
🍂जवाब🍃: किसी सहाबी के साथ सूऐ अक़ीदत बदमज़हबी व गुमराही व इसतहकाके जहन्नम है कि वो हुज़ूरे अक़दस ﷺ के साथ बुग्ज़ है, ऐसा शख़्स राफ़ज़ी है अगर्चे चारों खुल्फ़ा को माने और अपने आपको सुन्नी कहे मसलन हज़रत अमीरे मुआविया और उनके वालिदे माजिद हज़रत अबु सुफ़यान और वालिदा माजिदा हज़रत हिन्दा इसी तरह हज़रत सय्यदुना अम्र व बिन आस व हज़रत मुगीरा बिन शेबा व हज़रत अबु मूसा अश्अरी رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم , हत्ता कि हज़रत वहशी رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ जिन्होंने क़ब्ले इस्लाम हज़रत सय्यदुना सय्यदुशशोहदा हम्ज़ा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ को शहीद किया और बादे इस्लाम अख़बसुन्नास ख़बिस मुस्लिमाह कज़्ज़ाब मलऊन को वासिले जहन्नम किया। वो खुद फरमाया करते थे कि मैंने खैरुन्नास व शर्रुन्नास को क़त्ल किया, इनमें से किसी की शान में गुस्ताखी गुमराही है और इसका क़ाइल राफ़ज़ी अगर्चे हज़रते शैखेन رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُما की तौहीन के मिस्ल नहीं हो सकती कि उनकी तौहीन बल्कि उनकी ख़िलाफ़त से इन्कार ही फुक़हाए किराम के नज़दीक कुफ़्र है।
🍃सवाल🍂: सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم के जो आपसी इख़्तिलाफात हुए उनमे पडना और एक कि तरफदारी करते हुए दूसरे को बुरा कहना कैसा है?
🍂जवाब🍃: सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم के बाहम जो वाकिआत हुए उनमें पड़ना हराम हराम सख्त हराम है, मुसलमानों को तो यह देखना चाहिए कि वो सब हज़रात आक़ा ए दो आलम ﷺ के जांनिसार और सच्चे गुलाम हैं।
अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ
📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ
🌹ख़ानक़ाह ए अशरफ़ीया सरकार ए बुरहानपुर🌹
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