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Thursday, September 24, 2020

विलायत का बयान पार्ट-4

📚फ़र्ज़ उलुम 89
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 89

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌻विलायत का बयान (पार्ट 4)🌻

🍃सवाल🍂: करामाते औलिया के मुनकिर का क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: करामाते औलिया हक़ है इसका मुनकिर गुमराह है।

🍃सवाल🍂: औलिया से किस किस्म की करामात का सुदूर हो सकता है?
🍂जवाब🍃: मुर्दे ज़िन्दा करना और मादरजाद अंधे और कोड़ी को शिफा देना, मशरिक से मगरिब तक सारी ज़मीन एक कदम में तै कर जाना, गरज़ तमाम खवारीक़े आदात औलिया से मुमकिन है, सिवा उस मोअजज़ा के जिसकी बाबत दूसरों के लिए मुमानअत साबित हो चुकी है। जैसे क़ुरआने मजीद की मिस्ल कोई सूरत ले आना या दुनिया में बेदारी में अल्लाह عزوجل का दीदार या कलामे हक़ीक़ी से मुशर्रफ होना, जो अपने या किसी वली के लिए इसका दावा करे काफिर है।

🍃सवाल🍂: औलिया से इस्तिमदाद (मदद तलब करना) कैसा है? और इनको दूर व नज़दीक से पुकारना कैसा?
🍂जवाब🍃: इनसे इस्तिमदाद व इस्तिआनत महबूब है, येह मदद मांगने वाले की मदद फरमाते है चाहे वो किसी जाइज़ लफ्ज़ के साथ हो। इसी तरह इनको दूर व नज़दीक से पुकारना असलाफ़ (बुज़ुर्गों) का तरीका है। रहा इनको फाइले मुस्तक़िल जानना, येह वहाबिया का फरेब है, मुसलमान कभी ऐसा ख्याल नहीं करता, मुसलमान के फ़ैल को ख़्वाहमख्वाह क़बीह सूरत पर ढालना वहाबिया का खासा है।

🍃सवाल🍂: औलिया के मज़ारात पर हाज़री देना कैसा है? 
🍂जवाब🍃: इनके मज़ारात पर हाज़री मुसलमान के लिए सआदत व बाइसे बरकत है।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

🌹ख़ानक़ाह ए अशरफ़ीया सरकार ए बुरहानपुर🌹

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