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Friday, July 30, 2021

महबूबाने ख़ुदा का वसीला पार्ट - 6

📚फ़र्ज़ उलुम 106
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 106

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌺महबूबाने खुदा का वसीला (पार्ट 6)🌺

जारी...

🔸विसाले ज़ाहिरी के बाद वसीला:
हज़रत उस्मान बिन हुनैफ़ رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से रिवायत है, फरमाते है: एक हाजतमंद अपनी हाजत के लिए अमीरुल मोमिनीन हज़रत उस्मान गनी رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالىٰ عَنْهُ की खिदमत में आता जाता, अमीरुल मोमिनीन न उसकी तरफ इल्तिफ़ात फरमाते न उसकी हाजत पर नज़र फरमाते, उसने हज़रत उस्मान बिन हुनैफ़ رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से इस अम्र की शिकायत की, उन्होंने फ़रमाया वुज़ू करके मस्जिद में दो रकअत नमाज़ पढ़ फिर दुआ मांग: ईलाही मैं तुझसे सुवाल करता हु और तेरी तरफ अपने नबी मुहम्मद ﷺ के वसीले से तवज्जो करता हु, या रसूलअल्लाह! मैं हुज़ूर के तवस्सुल से अपने रब की तरफ मुतवज्जेह होता हुं कि मेरी हाजत रवाई फरमाए। और अपनी हाजत ज़िक्र कर, फिर शाम को मेरे पास आना कि मैं भी तेरे साथ चलूं। हाजतमन्द ने (कि वो भी सहाबी या कबार ताबइन में से थे) यूं ही किया, फिर आस्ताने खिलाफत पर हाजिर हुए, दरबान आया और हाथ पकड़ कर अमीरुल मोमिनीन के हुज़ूर ले गया, अमीरुल मोमिनीन ने अपने साथ मसनद पर बैठा लिया, मतलब पूछा, अर्ज़ किया, फौरन रवा फ़रमाया, और इरशाद किया इतने दिनों में इस वक़्त अपना मतलब बयान किया, फिर फ़रमाया: जो हाजत तुम्हे पेश आया करे हमारे पास चले आया करो। ये साहब वहां से निकल कर उस्मान बिन हुनैफ़ से मिले और कहा अल्लाह तआला तुम्हे जज़ाए ख़ैर दे अमीरुल मोमिनीन मेरी हाजत पर नज़र और मेरी तरफ तवज्जोह न फरमाते थे यहां तक कि आपने उनसे मेरी सिफारिश की, उस्मान बिन हुनैफ़ رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالىٰ عَنْهُ ने फरमाया: ख़ुदा की कसम! मैंने तो तुम्हारे मामले में अमीरुल मोमिनीन से कुछ भी न कहा मगर हुआ यह कि मैंने सय्यदे आलम ﷺ को देखा हुज़ूर की खिदमते अक़दस में एक नाबीना हाज़िर हुआ और नाबिनाई की शिकायत की हुज़ूर ने यूँही उससे इरशाद फ़रमाया कि वुज़ू करके दो रकअत नमाज़ पढ़े फिर येह दुआ करे। ख़ुदा की कसम हम उठने भी ना पाए थे बातें ही कर रहे थे कि वो हमारे पास आया गोया कभी वो अंधा ना था।

इमाम मन्ज़री इस हदीसे पाक के तहत फरमाते है: इमाम तबरानी ने इस की तुरुक ज़िक्र करने के बाद कहा कि येह हदीस सहीह है।

वसीला का बयान मुकम्मल हुआ।

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम 2
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

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महबूबाने ख़ुदा का वसीला पार्ट - 5

📚फ़र्ज़ उलुम 105
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 105

            بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌺महबूबाने खुदा का वसीला (पार्ट 5)🌺

जारी...

🔹हुज़ूर ﷺ का खुद वसीला सिखाना:
हदीसे पाक में है:
हज़रत उस्मान बिन हुनैफ़ رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से रिवायत है, एक नाबीना आदमी नबी करीम ﷺ की बारगाह में हाज़िर हुआ और अर्ज़ की: मेरे लिए अल्लाह तआला से दुआ करें कि वो मुझे आफ़ियत दे। फ़रमाया: अगर तू चाहे तो मैं तुम्हारे लिए दुआ को मोअख्खर कर दु और ये तुम्हारे लिए बेहतर है और अगर चाहे तो दुआ कर दूं। उसने अर्ज़ किया: दुआ फरमा दें। तो नबी करीम ﷺ ने उसे हुक्म दिया कि अच्छी तरह वुज़ू करके दो रकअत नमाज़ पढ़ो और इस तरह दुआ करो: ए अल्लाह! मैं तुझ से मांगता हूं और तेरी तरफ तवज्जोह करता हूं बवसीला तेरे नबी मुहम्मद ﷺ के कि मेहरबानी के नबी है, या रसूलअल्लाह ﷺ! मैं हुज़ूर के वसीले से अपने रब की तरफ इस हाजत में तवज्जोह करता हु कि मेरी हाजत रवाई हो। इलाही इनकी शफ़ाअत मेरे हक़ में क़ुबूल फ़रमा।

सुनन इब्ने माजा में इस हदीस के बारे में लिखा है "इमाम अबु इस्हाक़ ने कहा: येह सहीह हदीस है।"

इमाम हाकिम ने इस हदीस के बारे में लिखा "ये हदीस इमाम बुखारी और इमाम मुस्लिम की शर्त पर सहीह है।" 

इमाम तिर्मिज़ी ने इसके बारे में कहा "ये हदीस हसन सहीह गरीब है।"

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम 2
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

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महबूबाने ख़ुदा का वसीला पार्ट - 4

📚फ़र्ज़ उलुम 104
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 104

                بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌺महबूबाने खुदा का वसीला (पार्ट 4)🌺

जारी...

🔸 हज़रत उमर फारूक رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ का तवस्सुल करना:
सहीह बुखारी में है:
बेशक़ हज़रत उमर बिन खत्ताब رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ कहत के ज़माने में हज़रत अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ के वसीले से अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ मांगते और अर्ज़ करते हम तेरी तरफ अपने नबी करीम ﷺ को वसीला बनाते थे तो तू सैराब फरमाता था। अब हम तेरी बारगाह में नबी करीम ﷺ के चाचा (हज़रत अब्बास رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ) को वसीला बनाते है तू हमें सैराब फरमा दे। तो रावी कहते है कि अल्लाह तआला हमें सैराब (बारिश नाज़िल) फरमा देता था।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम 2
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

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महबूबाने ख़ुदा का वसीला पार्ट - 3

📚फ़र्ज़ उलुम 103
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 103

                بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّ حِیْم
اَلصَّلٰوۃُ وَ السَّلَامُ عَلَیْكَ یَا رَسُولَ اللّٰه ﷺ

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 🌺महबूबाने खुदा का वसीला (पार्ट 3)🌺

जारी...

🔹 नबी ﷺ की बारगाह में आ जाओ:
अल्लाह तआला फरमाता है:
{وَ لَوْ اَنَّهُمْ اِذْ ظَّلَمُوْۤا اَنْفُسَهُمْ جَآءُوْكَ فَاسْتَغْفَرُوا اللّٰهَ وَ اسْتَغْفَرَ لَهُمُ الرَّسُوْلُ لَوَجَدُوا اللّٰهَ تَوَّابًا رَّحِیْمًا}

तर्जुमा: अगर वो अपनी जानों पर जुल्म कर बैठे तो ए महबूब आपकी बारगाह में आ जाए और अल्लाह तआला से माफी चाहें और रसूल भी उनके लिए इस्तग़फ़ार करे तो अल्लाह तआला को बख्शने वाला मेहरबान पाएंगे।

(पाराह 5, सूरह निसा, आयत 64)

इमाम कुर्तुबी رحمۃاللہ تعالیٰ علیہ (मुतवफ्फा 671 हि.) ने इस आयत के तहत ये रिवायत नक़्ल की है:
हज़रत अली رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से रिवायत है, रसूलअल्लाह ﷺ के दफन करने के तीन दिन बाद एक अराबी हमारे पास आया, और रोज़ा शरीफ की खाके पाक अपने सर पर डाली और अर्ज़ करने लगा: या रसूलअल्लाह ﷺ जो आपने फरमाया हमने सुना और जो आप ﷺ अल्लाह तआला की तरफ से याद किया और हमने आपसे याद किया, और जो आप पर नाज़िल हुआ उसमे ये आयत भी है {وَ لَوْ اَنَّهُمْ اِذْ ظَّلَمُوْۤا} मैंने बेशक़ अपनी जान पर जुल्म किया और आपके हुज़ूर में अल्लाह से अपने गुनाहों की बख्शिश चाहने हाज़िर हुआ तो मेरे रब से मेरे गुनाहों की बख्शिश कराइए, इस पर क़ब्र शरीफ से निदा आई कि तेरी बख्शिश की गई।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम 2
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دَامَتْ بَرکَا تُہمُ العَالِیَه

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Monday, December 14, 2020

महबूबाने ख़ुदा का वसीला पार्ट - 2

📚फ़र्ज़ उलुम 102
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 102

بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌺महबूबाने खुदा का वसीला (पार्ट 2)🌺

जारी...

🔸 बेअसत से पहले हुज़ूर ﷺ का वसीला:
हुज़ूर ﷺ की बेअसत से क़ब्ल यहूदी उनके तवस्सुल से दुआ करते थे, क़ुरआन पाक में है

{وَ لَمَّا جَآءَهُمْ كِتٰبٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ مُصَدِّقٌ لِّمَا مَعَهُمْۙ-وَ كَانُوْا مِنْ قَبْلُ یَسْتَفْتِحُوْنَ عَلَى الَّذِیْنَ كَفَرُوْا}

तर्जुमा कंजुल ईमान: और जब उनके पास अल्लाह की वो किताब (क़ुरआन) आई जो उनके साथ वाली किताब (तौरेत) की तस्दीक फरमाती है और इससे पहले वो उसी नबी के वसीले से काफिरों पर फतह माँगते थे।

(सूरह बक़रह, आयत 89)

इमाम इब्ने जरीर तबरी رحمۃاللہ تعالیٰ علیہ (मुतवफ्फा 310 हि) इस आयत की तफ़्सीर में फरमाते है:
हज़रत इब्ने अब्बास رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से रिवायत है फरमाते है: यहूदी रसूलअल्लाह ﷺ की बेअसत से पहले आप ﷺ के वसीले से औस और ख़ज़रज कबीलों पर फतह हासिल करने के लिए दुआएं करते थे, जब हुज़ूर ﷺ अरब में मबउस हुए तो इन्होंने आपके साथ कुफ्र किया और जो कहते थे उसका इन्कार कर दिया। हज़रत माअज़ बिन जबल और बनी सलमा के भाई बशर बिन बराअ बिन मुआविर ने कहा: ए यहूदियों! अल्लाह से डरो और इस्लाम क़ुबूल करलो, तुम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ के वसीले से हम पर फतह मांगते रहे हो और उस वक़्त हम मुशरिक थे और तुम हमें बताते थे कि वो मबउस होने वाले है और हमे उनकी सिफ़ात बयान करते थे। 

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम 2
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

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महबूबाने ख़ुदा का वसीला पार्ट - 1

📚फ़र्ज़ उलुम 101
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 101

              بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌺महबूबाने खुदा का वसीला (पार्ट 1)🌺

🍃सवाल🍂: क्या अल्लाह तआला की बारगाह में अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام और औलियाए किराम رَحِمَھُمُ اللّٰهُ اسَّلَام का वसीला पेश करना क़ुरआन व हदीस से साबित है?
🍂जवाब🍃: जी हाँ! वसीले का सबूत क़ुरआन व हदीस में मौजूद है। इसपर कुछ दर्जे ज़ैल है:
🔸वसीला तलाश करो:
क़ुरआने पाक में है : ए ईमान वालों! अल्लाह से डरो और उसकी तरफ वसीला ढूंढो।

आमाल का मक़बूल होना यक़ीनी नहीं जब इनको वसीला बना सकते है तो वो हस्तियां जो अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की बारगाह में यक़ीनन मक़बूल है उनका वसीला बदर्जा ओला जाइज़ है। तफसीरे रूहुल बयान में इस आयत की तफ़्सीर में है : जान लो कि इस आयत में वसीला ढूंढने की सराहत है बगैर इसके चारा नहीं और अल्लाह عَزَّوَجَلَّ तक पहुँचना बगैर वसीले के हासिल नहीं होता और वसीला उलमाए हक़ीक़त और मशाइखे तरीक़त है।


अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम 2
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

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Monday, November 16, 2020

हयातुल अम्बिया पार्ट - 5

📚फ़र्ज़ उलुम 100
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 100

              بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌺हयातुल अम्बिया (पार्ट 5)🌺

जारी.....

🔸 तमाम अम्बिया मस्जिदे अक़्सा में:
हज़रत अनस رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से रिवायत है, नबी करीम ﷺ इरशाद फरमाते है: फिर मैं बैतूल मुक़द्दस में दाखिल हुआ, पस मेरे लिए अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام को जम्आ किया गया, तो मुझे जिब्राइल عليه السلام ने आगे किया यहा तक कि मैंने सबकी इमामत करवाई।

🔸 अम्बिया ज़िन्दा है:
इमाम बज़्ज़ार "मुसनद बज़्ज़ार" में, इमाम अबु या'अला मौसलि " मुसनद अबु या'अला" में, और इमाम बेहक़्क़ी رحمۃاللہ تعالیٰ علیہ अपनी किताब : " हयातुल अम्बिया फि कुबुरहीम" में रिवायत नक़ल करते है: अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام अपनी क़ब्रों में ज़िन्दा है नमाज़े पढ़ते है।

🔸 शैख़ मुहक़्क़ीक़ का मौकफ़:
शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी رحمۃاللہ تعالیٰ علیہ "मदारिजुल नुबूवा" में फरमाते है: अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام की हयात व ज़िन्दगी का सुबूत उलमा का इज़्माई मसअला है, इसमें किसी का कोई इख्तिलाफ नहीं, इसलिए कि अम्बिया की ज़िंदगी शोहदा व मुजाहिदीन की ज़िंदगी से ज़्यादा कामिल और क़वी तर है, शोहदा की ज़िंदगी तो मानवी और उखरवी है मगर अम्बिया की ज़िन्दगी हस्सास और दुनयावी ज़िन्दगी है, इस बारे में अहादीस व आसार वारिद है।
 

हयातुल अम्बिया का बयान मुकम्मल हुआ अगली पोस्ट में  انشاءاللہ "महबूबाने खुदा का वसीला" पोस्ट किया जाएगा।

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

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हयातुल अम्बिया पार्ट - 4

📚फ़र्ज़ उलुम 99
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 99

              بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌺हयातुल अम्बिया (पार्ट 4)🌺

जारी.....

 🔸 अल्लाह का नबी ज़िन्दा है:
हज़रत अबु दरदा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से रिवायत है, रसूलअल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया: बेशक अल्लाह तआला ने ज़मीन पर अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام के अजसाम के खाने को हराम कर दिया है, पस अल्लाह का नबी ज़िन्दा है, रिज़्क़ दिया जाता है।

🔸 क़ब्र में नमाज़:
हज़रत अनस رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से रिवायत है, रसूलअल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया: (मे'अराज की रात) में मूसा عليه السلام के पास से गुज़रा वो अपनी क़ब्र में नमाज़ पढ़ रहे थे।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
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हयातुल अम्बिया पार्ट - 3

📚फ़र्ज़ उलुम 98
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 98

              بسم الله الرحمن الرحيم
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 🌺हयातुल अम्बिया (पार्ट 3)🌺

जारी.....

 हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से रिवायत है, फरमाते है: नो मरतबा इस बात पर हल्फ उठाना कि रसूलअल्लाह ﷺ शहीद किए गए मेरे नज़दीक इससे ज्यादा पसंदीदा है कि मैं एक मरतबा इस बात पर हल्फ उठाऊं कि रसूलअल्ल्लाह ﷺ शहीद नहीं हुए, कि अल्लाह तआला ने नबी करीम ﷺ को नुबुव्वत और शहादत दोनों से सरफ़राज़ फरमाया है।
इमाम हाकिम और इमाम ज़हबी ने इस रिवायत को बुखारी व मुस्लिम की शर्त पर सहीह क़रार दिया है।

फ़क़ीह व मुहद्दिस अल्लामा अली कारी رَحْمَةُ اللہِ تَعَالٰی عَلَیْه लिखते है: उम्मते मुहम्मदी के शोहदा के बारे में अल्लाह तआला ने फरमाया: (बल्कि वो अपने रब के पास ज़िन्दा है, रोज़ी पाते है) तो उनके सरदार बल्कि उनके रईस के लिए क्या मरतबा होगा क्योंकि उनको दीगर फ़ज़ीलतो के साथ साथ शहादत का मर्तबा भी हासिल हुआ कि एक दफा ज़हर आलूद बकरी का गोश्त तनावुल फरमा लिया था जिसका ज़हर आखरी उम्र में लौट आया था।
अज़ीम मुहद्दिस जलालउद्दीन सीयूती शाफ़ई رَحْمَةُ اللہِ تَعَالٰی عَلَیْه इस आयत को लिख कर फरमाते है: अम्बिया बदर्जा ओला ज़िन्दा है कि वो मरतबे में इनसे बढ़ कर है (बल्कि) कोई ऐसा नबी नहीं जिसके वस्फ़े नुबुव्वत के साथ शहादत जम्अ नहीं हुई हो पस अम्बिया भी इस आयत के उमूम में दाखिल होंगे।

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हयातुल अम्बिया पार्ट - 2

📚फ़र्ज़ उलुम 97
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 97

              بسم الله الرحمن الرحيم
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 🌺हयातुल अम्बिया (पार्ट 2)🌺

जारी.....
□ मज़कूरा आयात से वजहे इस्तदलाल:
मज़कूरा आयात से फुक़हा व मुहद्दिसीन ने नबी पाक ﷺ की हयात पर दो तरीकों से इस्तदलाल किया है: 
(1) जब शहीद ज़िन्दा है तो अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام तो बदर्जा ओला ज़िन्दा हैं।
(2) अल्लाह तआला ने हुज़ूर ﷺ को भी शहादत से सरफ़राज़ फरमाया है क्योंकि आप ﷺ का विसाल ज़हर आलूदा बकरी खाने की वजह से हुआ, लिहाज़ा आप ﷺ भी इस आयत के उमूम में दाखिल है।

हज़रते आइशा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھَا से रिवायत है, फरमाती है: नबी करीम ﷺ अपने मर्जे वफ़ात में फरमाया करते थे: ए आइशा !رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھَا मैंने खैबर में जो ज़हर आलूद खाना खाया था उसकी तकलीफ हमेशा महसूस करता रहा हूँ, और इस वक़्त मैं महसूस कर रहा हु कि उस ज़हर से मेरी रगे जान मुनकते हो रही है।

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Sunday, November 15, 2020

हयातुल अम्बिया पार्ट - 1

📚फ़र्ज़ उलुम 96
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 96

              بسم الله الرحمن الرحيم
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 🌺हयातुल अम्बिया (पार्ट 1)🌺

🍃सवाल🍂: क्या हमारे नबी ﷺ और दीगर अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام ज़िंदा है?
🍂जवाब🍃: जी हाँ! रसूलअल्लाह ﷺ और तमाम अम्बियाए किराम हयाते हक़ीकी दुनयावी रूहानी जिस्मानी से ज़िन्दा है, अपने मज़ाराते तय्यबा में नमाज़े पढ़ते है, रोज़ी दिए जाते है, जहां चाहे तशरीफ़ ले जाते है, ज़मीन व आसमान की सल्तनत में तसर्रुफ़ फरमाते हैं।
अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام अपनी अपनी क़ब्रों में उसी तरह बहयाते हक़ीकी ज़िन्दा है, जैसे दुनिया में थे, खाते-पीते है, जहां चाहे आते जाते है, तस्दीके वादाए इलाहिया के लिए एक आन को उनपर मौत तारी हुई, फिर बदस्तूर ज़िन्दा हो गए, उनकी हयात , हयाते शोहदा से बहुत अरफ़ा व आला है, फ़िल्हाज़ा शोहदा का तर्का तक़सीम होगा, उसकी बीवी बादे इद्दत निकाह कर सकती है, ब खिलाफ अम्बिया के, कि वहां येह जाइज़ नहीं।

🔸 हयाते अम्बिया पर कुछ दलाईल

● मुर्दा न कहो:
अल्लाह तआला क़ुरआन मजीद में इरशाद फरमाता है: और जो खुदा की राह में मारे जाए उन्हें मुर्दा न कहो बल्कि वो ज़िन्दा है हाँ तुम्हें खबर नही।

● मुर्दा ख्याल भी न करो:
एक दूसरे मकाम पर इरशाद फरमाता है: और जो अल्लाह की राह में मारे गए हरगिज उन्हें मुर्दा न ख्याल करना बल्कि वो अपने रब के पास ज़िन्दा है रोज़ी पाते हैं।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

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इल्मे ग़ैब पार्ट - 5

📚फ़र्ज़ उलुम 95
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 95

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 💫इल्मे ग़ैब (पार्ट 5)💫

जारी.......

🔹जो चाहो पूछो:
सहीह बुख़ारी में है: हज़रत अबु मूसा अशअरी رضی اللہ تعالٰی عنه से रिवायत है, फरमाते है: नबी अकरम ﷺ से ऐसे सवालात किए गए जो आपको नापसन्द थे, जब सवालात ज्यादा होने लगे तो आप नाराज़ हो गए, फिर लोगों से फरमाया जो चाहो मुझसे पूछ लो। एक शख़्स अर्ज़गुज़ार हुआ: मेरा बाप कौन है? फरमाया: तेरा बाप हुजैफा है। एक दूसरा आदमी खड़ा होकर अर्ज़ करने लगा: या रसूलअल्लाह ﷺ मेरा वालिद कौन है? फ़रमाया: तुम्हारा वालिद सालिम शैबा का आज़ाद करदा गुलाम है, जब हज़रत उमर رضی اللہ تعالٰی عنه ने आप ﷺ के चेहरा ए अक़दस पर गज़ब के आसार देखे तो अर्ज़ किया: या रसूलअल्लाह ﷺ ! हम अल्लाह عزوجل की तरफ तौबा करते हैं।

🔸हर चीज़ का इल्म:
जामीअत तिर्मिज़ी शरीफ़ वगेरा कुतुब कसीरा में बअसानिदे अदीदा व तुरूके मतनुआ दस सहाबए किराम رضی اللہ تعالی عنھم से है कि रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया: मैंने अल्लाह عزوجل का दीदार किया, अल्लाह तआला ने अपना दस्ते क़ुदरत मेरे कंधों के दरमियान रखा, मैंने उसकी ठंडक  अपने सीने में महसूस की, पस मेरे लिए हर चीज़ रोशन हो गई और मैंने हर चीज़ को पहचान लिया।

इमाम तिर्मिज़ी इस हदीस के मुताल्लिक़ फरमाते है: येह हदीस हसन सहीह है, मैंने इमाम बुखारी से इस हदीस के बारे में सवाल किया तो उन्होंने फ़रमाया: येह हदीस हसन सहीह है।

🔹 ज़मीन व आसमान का इल्म:
एक रिवायत के अल्फ़ाज़ येह है: मैंने जान लिया जो कुछ आसमानों और ज़मीन में है

इल्मे ग़ैब का बयान मुकम्मल हुआ अगली पोस्ट में انشاءاللہ हयाते अम्बिया का बयान पोस्ट होगा।

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इल्मे ग़ैब पार्ट - 4

📚फ़र्ज़ उलुम 94
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 94

            بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 💫इल्मे ग़ैब (पार्ट 4)💫

जारी...

इल्मे मा काना वमा यकुन :
सहीह मुस्लिम में है : हज़रत अबु ज़ैद यानी अम्र बिन अखतब رضی اللہ تعالٰی عنه से रिवायत है, फरमाते है: रसूलअल्लाह ﷺ ने हमें फ़ज़्र की नमाज़ पढ़ाई और मिम्बर पर तशरीफ़ फरमा होकर हमें ख़ुत्बा देते रहे यहां तक कि ज़ोहर का वक़्त हो गया, उतर कर नमाज़ पढ़ाई फिर मिम्बर पर तशरीफ़ फरमा हुए और हमें ख़ुत्बा देते रहे यहां तक कि असर का वक़्त हो गया, उतर कर असर की नमाज पढ़ाई फिर मिम्बर पर तशरीफ़ फरमा हुए, गुरूबे आफ़ताब तक हमें ख़ुत्बा देते रहे, इस ख़ुत्बा (बयान) में हमें इल्मे मा काना वमा यकुन (यानी जो हो चुका और जो होना है) की खबर दे दी, हम में से ज्यादा इल्म वाला वो है जिसने इस ख़ुत्बे को सबसे ज्यादा याद रखा।

कोई परिन्दा पर मारने वाला नहीं:
इमाम अहमद ने मुसनद और तबरानी ने मुजम में बसनद सहीह  हज़रत अबु ज़र गफ़्फ़ारी رضی اللہ تعالٰی عنه से रिवायत किया, फरमाते है: नबी ﷺ ने हमें इस हाल पर छोड़ा कि हवा में कोई परिन्दा पर मारने वाला ऐसा नहीं जिसका इल्म हुज़ूर ने हमारे सामने बयान न फरमा दिया हो।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

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इल्मे ग़ैब पार्ट - 3

📚फ़र्ज़ उलुम  93
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 93

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 💫इल्मे ग़ैब (पार्ट 3)💫

🔸 ग़ैब बताने में बखील नहीं:
अल्लाह तआला फरमाता है:
{وَ مَا هُوَ عَلَى الْغَیْبِ بِضَنِیْنٍۚ}

तर्जुमा : और येह नबी ग़ैब बताने में बखील नहीं।
(पारह 30, सूरह तकवीर, आयात 24)

तफसीरे खाज़िन और तफसीरे बग्वी में इस आयते करीमा के तहत लिखा है: नबी करीम ﷺ के पास इल्मे ग़ैब आता है, पस वो इसमें बुखल नहीं करते बल्कि तुम्हें सिखाते है और इसकी खबर देते है।

🔹इब्तिदाए ख़ल्क़ से दुखुले जन्नत व नार तक:
सहीह बुख़ारी शरीफ में हज़रत अमीरुल मोमिनीन उमर फ़ारूक़ رضی اللہ تعالٰی عنه से मरवी है: एक बार सय्यदे आलम ﷺ ने हम में खड़े होकर इब्तिदाए आफ़रीनश से लेकर जन्नतियों के जन्नत और दोज़खीयों के दोज़ख़ में जाने तक का हाल हमसे बयान फरमा दिया, याद रखा जिसने याद रखा और भूल गया जो भूल गया।

🔸एक मजलिस में हर चीज़ का बयान मोअजज़ा है:
हाफ़िज़ इब्ने हजर असकलानी رحمۃاللہ تعالیٰ علیہ इस हदीसे पाक के तहत फरमाते है: येह हदीस पाक इसकी दलील है कि रसूलअल्लाह ﷺ ने एक ही मजलिस में तमाम मख़लूक़ के अहवाल जबसे खलकत शुरू हुई और जब तक फ़ना होगी और जब उठाई जाएगी सब बयान फरमा दिया और येह बयान मुबदआ (मख़लूक़ के आगाज़े पैदाइश), माआश (रहने सहने) और माआद (क़यामत के दिन उठने) सबको मुहित था, इन सबको खरके आदत एक ही मजलिस में बयान कर देना निहायत अज़ीम मोअजज़ा है।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम 2
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

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इल्मे ग़ैब पार्ट - 2

📚फ़र्ज़ उलुम  92
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 92

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 💫इल्मे ग़ैब (पार्ट 2)💫

जारी.....

🔹सब कुछ सीखा दिया:
अल्लाह तआला फरमाता है:

{وَ عَلَّمَكَ مَا لَمْ تَكُنْ تَعْلَمُؕ وَ كَانَ فَضْلُ اللّٰهِ عَلَیْكَ عَظِیْمًا}

तर्जुमा : और तुम्हे सीखा दिया जो कुछ तुम न जानते थे और अल्लाह का तुम पर बड़ा फ़ज़्ल है।
(पारह 5, सुरह निसा, आयत 113)

इस आयत के तहत तफसीरे जलालेन में है : अहकाम और ग़ैब की जो बातें न जानते थे सब सीखा दीं।

इस आयत के तहत तफसीरे हुसैनी में है : यह मा काना वमा यकुन का इल्म है कि हक़ तआला ने शबे मेअराज में हुज़ूर ﷺ को अता फ़रमाया, चुनाँचे हदीसे मेअराज में है कि हम अर्श के नीचे थे, एक क़तरा हमारे हलक़ में डाला गया, पस हमने सारे गुजिश्ता और आइन्दा के वाकियात मालूम कर लिए।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

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Thursday, October 1, 2020

इल्मे ग़ैब पार्ट - 1

📚फ़र्ज़ उलुम 91
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 91

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 💫इल्मे ग़ैब (पार्ट 1)💫

🍃सवाल🍂: क्या अल्लाह तआला ने हमारे प्यारे नबी मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ को इल्मे ग़ैब अता फ़रमाया है?
🍂जवाब🍃: जी हाँ! क़ुरआन व हदीस से साबित है कि अल्लाह तआला ने हुज़ूर ﷺ को कसीर इल्मे ग़ैब अता फ़रमाया है। कुछ दलाइल दर्जे जेल है:

🔸 पसंदीदा रसूलों को ग़ैब:
अल्लाह तआला फरमाता है 

{ عٰلِمُ الْغَیْبِ فَلَا یُظْهِرُ عَلٰى غَیْبِهٖۤ اَحَدًاۙ اِلَّا مَنِ ارْتَضٰى مِنْ رَّسُوْلٍ }

तर्जुमा : ग़ैब का जानने वाला तो अपने ग़ैब पर किसी को मुसल्लत नहीं करता सिवाए अपने पसंदीदा रसूलों के 

(पारह 29, सूरह जिन्न आयत 26)

पता चला कि अल्लाह तआला अपने पसंदीदा रसूलों को ग़ैबों पर मुत्तलाअ फरमाता है और कोई मुसलमान इस बात में शक नहीं कर सकता है कि हमारे प्यारे आक़ा ﷺ अल्लाह तआला के प्यारे रसूल और हबीब है ।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

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Thursday, September 24, 2020

विलायत का बयान पार्ट-5

📚फ़र्ज़ उलुम 90
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 90

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌻विलायत का बयान (पार्ट 5)🌻

🍃सवाल🍂: क्या औलियाए किराम क़ब्रो में ज़िन्दा होते है?
🍂जवाब🍃: जी हाँ! औलियाए किराम अपनी क़ब्रो में हयाते अब्दी के साथ ज़िन्दा है, इनके इल्म व इदराक सम्अ व बसर पहले की निस्बत बहुत ज्यादा क़वी हो जाते है।

🍃सवाल🍂: औलिया को इसाले सवाब करने का क्या फायदा है?
🍂जवाब🍃: इन्हें इसाले सवाब निहायत हो मौजिबे बरकात व अम्रे मुस्तहब है, इसे उर्फन बराए अदब नज़्र व नियाज़ कहते है, जैसे बादशाह को नज़्र देना, यह नज़्रे शरई नहीं, इनमे ख़ुसूसन ग्यारहवीं शरीफ की फातेहा निहायत अज़ीम बरकत की चीज़ है। उर्से औलियाए किराम यानी क़ुरआन ख़्वानी व फातेहा ख़्वानी व नात ख़्वानी व वाज़ व इसाले सवाब अच्छी चीज है। रहे गुनाहों के काम वो तो हर हालत में मज़मूम है और मज़ाराते तय्यबा के पास और ज्यादा मज़मूम।

🍃सवाल🍂: पीर किसको बनाना चाहिए?
🍂जवाब🍃: पीर के लिए 4 शर्ते है क़ब्ल अज़ बैअत उनका लिहाज़ ज़रूरी है।
(1) सुन्नी सहीहुल अक़ीदा होना।
(2) इतना इल्म रखता हो कि अपनी ज़रुरियात के मसाइल किताबों से निकाल सके।
(3) फ़ासीके मुअल्लिन न हो।
(4) उसका सिलसिला नबी ﷺ तक मुतस्सिल हो।


विलायत का बयान मुकम्मल हुआ आगे انشاءاللہ इल्मे ग़ैब का बयान पोस्ट किया जाएगा।

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विलायत का बयान पार्ट-4

📚फ़र्ज़ उलुम 89
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 89

             بسم الله الرحمن الرحيم
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 🌻विलायत का बयान (पार्ट 4)🌻

🍃सवाल🍂: करामाते औलिया के मुनकिर का क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: करामाते औलिया हक़ है इसका मुनकिर गुमराह है।

🍃सवाल🍂: औलिया से किस किस्म की करामात का सुदूर हो सकता है?
🍂जवाब🍃: मुर्दे ज़िन्दा करना और मादरजाद अंधे और कोड़ी को शिफा देना, मशरिक से मगरिब तक सारी ज़मीन एक कदम में तै कर जाना, गरज़ तमाम खवारीक़े आदात औलिया से मुमकिन है, सिवा उस मोअजज़ा के जिसकी बाबत दूसरों के लिए मुमानअत साबित हो चुकी है। जैसे क़ुरआने मजीद की मिस्ल कोई सूरत ले आना या दुनिया में बेदारी में अल्लाह عزوجل का दीदार या कलामे हक़ीक़ी से मुशर्रफ होना, जो अपने या किसी वली के लिए इसका दावा करे काफिर है।

🍃सवाल🍂: औलिया से इस्तिमदाद (मदद तलब करना) कैसा है? और इनको दूर व नज़दीक से पुकारना कैसा?
🍂जवाब🍃: इनसे इस्तिमदाद व इस्तिआनत महबूब है, येह मदद मांगने वाले की मदद फरमाते है चाहे वो किसी जाइज़ लफ्ज़ के साथ हो। इसी तरह इनको दूर व नज़दीक से पुकारना असलाफ़ (बुज़ुर्गों) का तरीका है। रहा इनको फाइले मुस्तक़िल जानना, येह वहाबिया का फरेब है, मुसलमान कभी ऐसा ख्याल नहीं करता, मुसलमान के फ़ैल को ख़्वाहमख्वाह क़बीह सूरत पर ढालना वहाबिया का खासा है।

🍃सवाल🍂: औलिया के मज़ारात पर हाज़री देना कैसा है? 
🍂जवाब🍃: इनके मज़ारात पर हाज़री मुसलमान के लिए सआदत व बाइसे बरकत है।

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विलायत का बयान पार्ट-3

📚फ़र्ज़ उलुम 88
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 88

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 🌻विलायत का बयान (पार्ट 3)🌻

🍃सवाल🍂: क्या मज्ज़ुब के लिए भी यही हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: अगर मज्ज़ुबियत से अक़्ले तकलीफि ज़ाईल हो गई हो जैसे गशी वाला तो उससे क़लमे शरीअत उठ जाएगा मगर येह भी समझ लो! जो इस किस्म का होगा शरीअत का मुकाबला कभी न करेगा।

🍃सवाल🍂: अल्लाह तआ़ला ने औलियाए किराम को क्या ताक़त दी है?
🍂जवाब🍃: औलियाए किराम को अल्लाह عَزَّوَجَلَّ ने बहुत बड़ी ताकत दी है,इनमें जो असहाबे खिदमत है उनको तसर्रुफ़ का इख्तियार दिया जाता हैं, सियाह सफेद के मुख्तार बना दिए , येह हज़रात नबी ﷺ के सच्चे नाइब है इनको इख़्तियारात व तसर्रुफात हुज़ूर ﷺ की नियाबत में मिलते है।

🍃सवाल🍂: क्या औलिया पर उलूमे गैबिया मुन्कशिफ होते है?
🍂जवाब🍃: जी हाँ! उलूमे गैबिया उनपर मुन्कशिफ होते है, इनमे बहुत को जो हो चुका और जो होने वाला है और तमाम लोहे महफूज़ पर इत्तिलाह दी जाती है मगर येह सब हुज़ूरे अक़दस ﷺ के वास्ते व अता से है बे विसातत रसूल कोई ग़ैरे नबी किसी ग़ैब पर मुत्तला नहीं हो सकता।

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विलायत का बयान पार्ट-2

📚फ़र्ज़ उलुम 87
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 87

بسم الله الرحمن الرحيم
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 🌻विलायत का बयान (पार्ट 2)🌻

🍃सवाल🍂: इस उम्मत में सबसे अफ़ज़ल कौनसे औलिया है?
🍂जवाब🍃: तमाम औलियाए मुहम्मदिय्यिन में सब से ज्यादा मारिफ़त व क़ुर्बे ईलाही में खुलफ़ाए अरबा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم है और उन में तरतीब वही तरतीब अफ़ज़लियत है, सबसे ज़्यादा मारिफ़त व क़ुर्ब सिद्दीके अकबर को है, फिर फ़ारूके आज़म फिर ज़ुन्नुरैन फिर मौला मूर्तज़ा رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن को।

🍃सवाल🍂: क्या शरीअत और तरीक़त अलग अलग राहे हैं?
🍂जवाब🍃: तरीक़त मनाफी शरीअत नहीं। वो शरीअत ही का बातिनी हिस्सा है, बाज़ जाहिल मुतसव्वुफ़ (सूफी बनने वाले) जो येह कह दिया करते है: कि तरीक़त और है शरीअत और, महज़ गुमराही है और इस ज़ोमे बातील के बाइस अपने आपको शरीअत से आज़ाद समझना सरीह कुफ़्र व इलहाद है।

🍃सवाल🍂: क्या कोई वली शरीअत की पाबंदी से आज़ाद हो सकता है?
🍂जवाब🍃: अहकामे शरिय्या की पाबन्दी से कोई वली कैसा ही अज़ीम हो शुबुकदा वश नहीं हो सकता।
बाज़ जाहिल जो येह बक देते है कि शरीअत रास्ता है रास्ते की हाजत उनको है जो मक़सूद तक न पहुँचे हों, हम तो पहुँच गए। सय्यदुत्ताईफ़ा हज़रत जुनैद बगदादी رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ ने इन्हें फरमाया : वो सच कहते है बेशक पहुँच गए मगर कहाँ? जहन्नम को।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

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विलायत का बयान पार्ट-1

📚फ़र्ज़ उलुम 86
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 86

             بسم الله الرحمن الرحيم
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 🌻विलायत का बयान (पार्ट 1)🌻

🍃सवाल🍂: विलायत क्या है?
🍂जवाब🍃: विलायत एक क़ुर्बे खास है कि मौला عَزَّوَجَلَّ अपने बरगुज़िदा बन्दों को महज़ अपने फ़ज़ल व करम से अता फरमाता है।

🍃सवाल🍂: क्या आदमी मशक्कत वाले आमाल से विलायत हासिल कर सकता है?
🍂जवाब🍃: विलायत वहबी शे है (यानी खुदा का अतिया है), न कि आमाले शाक़्क़ा से आदमी खुद हासिल कर ले, अलबत्ता गालिबन आमाले हसना इस अतियाए ईलाही के लिए ज़रिया होते है और बाज़ों को इब्तिदा मिल जाती है।

🍃सवाल🍂: क्या विलायत बेइल्म को मिल सकती है?
🍂जवाब🍃: विलायत बेइल्म को नहीं अहले इल्म को मिलती है ख़्वाह इल्म बतौरे ज़ाहिर हासिल किया हो या इस मर्तबे पर पहुँचने से पेश्तर अल्लाह عَزَّوَجَلَّ ने इस पर उलूम मुन्कशिफ कर दिए हो।

🍃सवाल🍂: किस उम्मत के औलिया सबसे अफ़ज़ल है?
🍂जवाब🍃: तमाम औलियाए अव्वलीन व आख़िरीन से औलियाए मुहम्मदिय्यिन यानी इस उम्मत के औलिया अफ़ज़ल है।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

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अहले बैते अतहार ‎رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن (पार्ट ‎5)

📚फ़र्ज़ उलुम 85
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 85

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 🌸अहले बैते अतहार رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن (पार्ट 5)🌸

🍃सवाल🍂: यज़ीद पलीद के बारे में अहले सुन्नत का क्या नज़रिया है?
🍂जवाब🍃: यज़ीद पलीद फ़ासिको फाजिर मुरतकिबे कबाईर था, हाँ! यज़ीद को काफिर कहने और इस पर लानत करने में उलमाए अहले सुन्नत के तीन कौल है और हमारे इमामे आज़म رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ का मसलक सुकूत यानी हम उसे फ़ासिक़ फाजिर कहने के सिवा न काफिर कहे न मुसलमान।

🍃सवाल🍂: जो शख्स कहे कि हमें इमाम हुसैन رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ और यज़ीद के मुआमले में दखल नहीं देना चाहिए हमारे वो भी शहज़ादे , वो भी शहज़ादे, इस बारे में क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: معاذاللہ यज़ीद से और रेहाने रसूलअल्लाह ﷺ सय्यदुना इमाम हुसैन رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से क्या निस्बत ....?! आजकल जो बाज़ गुमराह कहते है कि : हमें इनके मुआमले में क्या दखल? हमारे वो भी शहज़ादे, वो भी शहज़ादे ऐसा बकने वाला मरदूद, ख़ारजी, नासबी मुस्तहिके जहन्नम है।

अहले बैत अतहार رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن का बयान मुक़म्मल हुआ अब انشاءاللہ विलायत का बयान पोस्ट होगा।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

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अहले बैते अतहार ‎رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن (पार्ट ‎4)

📚फ़र्ज़ उलुम 84
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 84

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 🌸अहले बैते अतहार رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن (पार्ट 4)🌸

🍃सवाल🍂: हुज़ूर ﷺ के कितने साहबज़ादे है?
🍂जवाब🍃: हुज़ूर ﷺ के तीन साहबज़ादे है
🌸(1) हज़रत इब्राहिम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ इनकी वालिदा माजिदा हज़रते मारिया ख़ातून हैं।
🌸(2) हज़रत क़ासिम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ 
🌸(3) हज़रत अब्दुल्लाह رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ जिनका लकब तय्यब व ताहिर है, येह दोनों साहबजादे हज़रते ख़दीजातुल कुबरा से हैं।

🍃सवाल🍂: हुज़ूर ﷺ की साहबज़ादियां कितनी है?
🍂जवाब🍃: हुज़ूर नबी करीम ﷺ की चार साहबज़ादियां है और चारों हज़रते ख़दीजातुल कुबरा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھَا से हैं, उनके अस्मा दर्ज ज़ैल हैं: 
🌸(1) हज़रते ज़ैनब رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھَا, जो हज़रत क़ासिम से छोटी और बाकी सब औलाद से बड़ी है, इनका निक़ाह मक्का ही में अबुल आस बिन रबिअ से हुआ था जिन्होंने जंगे बद्र के बाद इस्लाम कुबूल किया।
🌸(2) हज़रते रुकय्या رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھَا, येह हज़रते ज़ैनब से छोटी है।
🌸(3) हज़रते उम्मे कुलसुम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھَا, ये हज़रते रुकय्या से छोटी है इन दोनों का निक़ाह यक बाद दीगरए हज़रत उस्मान गनी رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से हुआ।
🌸(4) हज़रते फ़ातिमातुज ज़हरा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھَا, ये हज़रत उम्मे कुलसुम से छोटी है इनका निक़ाह हज़रत अलियुल मूर्तज़ा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से हुआ।

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अहले बैते अतहार ‎رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن (पार्ट ‎3)

📚फ़र्ज़ उलुम 83
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 83

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 🌸अहले बैते अतहार رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن (पार्ट 3)🌸

🍃सवाल🍂: उम्महातुल मोमिनीन किन का लक़ब है?
🍂जवाब🍃: हुज़ूर नबी करीम ﷺ की अज़वाजे मुतह्हरात का लक़ब उम्महातुल मोमिनीन (मोमिनीन की माँए) है, इनमे हर एक को जुदा जुदा "उम्मुल मोमिनीन" कहा जाता है या'नी ईमान वालों की माँ।

🍃सवाल🍂: उम्महातुल मोमिनीन की तादाद कितनी है और उनके अस्माए मुबारका क्या है?
🍂जवाब🍃: उम्महातुल मोमिनीन की तादाद ग्यारह तक पहुंचती है, उनके नाम दर्ज ज़ैल है:
🌸(1) हज़रते ख़दीजातुल कुबरा
🌸(2) हज़रते सौदह बिन्ते ज़मआ़
🌸(3) हज़रते आइशा बिन्ते सिद्दीके अकबर
🌸(4) हज़रते ह़फ़्सा बिन्ते फारूके आज़म
🌸(5) हज़रते ज़ैनब बिन्ते खुज़ेमा
🌸(6) हज़रते उम्मे सलमह बिन्ते अबू उमय्या
🌸(7) हज़रते ज़ैनब बिन्ते जह्श
🌸(8) हज़रते ज़ुवैरिय्या बिन्ते हारिस
🌸(9) हज़रते उम्मे हबीबा बिन्ते अबू सुफ़्यान
🌸(10) हज़रते सफ़िय्या बिन्ते हय्य
🌸(11) हज़रते मैमूना बिन्ते हारिस
رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَنْھُنَّ

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अहले बैते अतहार ‎رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن (पार्ट ‎2)

📚फ़र्ज़ उलुम 82
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 82

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 🌸अहले बैते अतहार رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن (पार्ट 2)🌸

🍃सवाल🍂: अहले बैते अतहार के फ़ज़ाइल बयान कर दे?
🍂जवाब🍃: अहले बैते अतहार के कुछ फ़ज़ाइल दर्ज जेल है:
📌(1) इनके हक़ में आयते ततहीर नाज़िल हुई, अल्लाह तआ़ला इरशाद फरमाता है:
{اِنَّمَا یُرِیْدُ اللّٰهُ لِیُذْهِبَ عَنْكُمُ الرِّجْسَ اَهْلَ الْبَیْتِ وَ یُطَهِّرَكُمْ تَطْهِیْرًا}
तर्जुमा : ए अहले बैत! अल्लाह तआ़ला तो यही चाहता है कि तुम से हर नापाकी दूर फ़रमा दे और तुम्हे खूब पाक कर दे।

📌(2) इनसे मुहब्बत करने का क़ुरआन मजीद में फरमाया गया, अल्लाह तआ़ला इरशाद फरमाता है: 
{قُلْ لَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ أَجْرًا إِلَّا الْمَوَدَّةَ فِي الْقُرْبَىٰ}
तर्जुमा: ए महबूब! फरमा दीजिए कि तबलीग रिसालत पर में तुमसे कुछ अज्र तलब नहीं करता मगर अपने कराबतदारों की मुहब्बत।

📌(3) अहले बैते अतहार को ज़कात और दीगर सदकाते वाजिबा देना और इन हज़रात तय्यबात का उसे लेना हराम है अगर्चे वो गनी न हो क्योंकि ये लोगों का मेल है। हदीस पाक में है: येह सदकात लोगों के मेल है और येह मुहम्मद ﷺ और उनकी आल के लिए हलाल नहीं।

📌(4) अहले बैत हसब नसब में सब इंसानों से अफ़ज़ल है। हज़रत आइशा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھَا से रिवायत है, रसूल अल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया : मुझ से जिब्राइल عَلَ‍یْهِ السَّلَام ने कहा: या रसूलअल्लाह ﷺ ! मैंने ज़मीन के मशरिक़ व मग़रिब को अलट पलट कर देखा मैंने बनी हाशिम से बढ़ कर किसी बाप के बेटों को न पाया।
📌(5) हुज़ूर अक़दस ﷺ की रिश्तेदारी और नसब के अलावा क़यामत के दिन हर रिश्तेदारी और नसब मूनकते हो जाएगा। रसूलअल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया : क़यामत के दिन तमाम नसब मूनकते हो जाएंगे सिवाए मेरे नसब और सबब के।

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Wednesday, August 19, 2020

अहले बैते अतहार ‎رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن (पार्ट ‎1)

📚फ़र्ज़ उलुम 81
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 81

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 🌸अहले बैते अतहार رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن (पार्ट 1)🌸

🍃सवाल🍂: अहले बैत से मुराद कौन है?
🍂जवाब🍃: जमहूर उलमा के नज़दीक अहले बैत से मुराद उम्महातुल मोमिनीन, हज़रत अली, हज़रत फ़ातिमा और हसनैन करीमेन बल्कि तमाम बनी हाशिम رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَنْھُم اَجْمَعِیْن है।

🍃सवाल🍂: जो अहले बैत से मुहब्बत न रखे, वो कैसा है?
🍂जवाब🍃: अहले बैते किराम رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَنْھُم اَجْمَعِیْن मुकतदीयाने अहले सुन्नत है, जो इन से मुहब्बत न रखे मरदूद व मलऊन ख़ारजी है।

🍃सवाल🍂: हज़रत ख़दीजातुल कुबरा, उम्मुल मोमिनीन आइशा सिद्दीका और हज़रत फ़ातिमा رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَنْھُنَّ के बारे में अहले सुन्नत का क्या अक़ीदा है?
🍂जवाब🍃: उम्मुल मोमिनीन ख़दीजातुल कुबरा व उम्मुम मोमिनीन आइशा सिद्दीका व हज़रत सय्यदा رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَنْھُنَّ क़तअई जन्नती है और उन्हें बकिय्या बनाते मुकररमात व अज़वाजे मुतह्हरात رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَنْھُنَّ को तमाम सहाबियात पर फ़ज़ीलत है।

🍃सवाल🍂: जो शख्स हज़रात हसनैन رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُما की शहादत का इन्कार करे उसके बारे में क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: हज़रात हसनैन رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُما आला दर्जा शोहदाए किराम से हैं, इनमें किसी की शहादत का मुनकिर गुमराह, बददीन , खासीर है।

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Monday, August 17, 2020

खुलफ़ाए राशिदीन पार्ट - 3

📚फ़र्ज़ उलुम 80
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 80

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 ⏳खुलफ़ाए राशिदीन  رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم (पार्ट 3)

🍃सवाल🍂: सहाबा में शैखेन और खतनेन किन सहाबा को कहते है?
🍂जवाब🍃: शैखेन अबु बक्र सिद्दीक़ और उमर फारूक़ رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُما को और खतनेन उस्मान गनी और अलियुल मूर्तज़ा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُما को कहते है।

🍃सवाल🍂: सबसे पहले इस्लामी बादशाह कौन है?
🍂जवाब🍃: हज़रत अमीरे मुआविया  رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ अव्वल मुलुके इस्लाम है।
इसी की तरफ तौराते मुक़द्दस में इशारा है कि: वो नबी आखरूज़ज़मा ﷺ मक्का में पैदा होगा और मदीना को हिजरत फरमाएगा और उसकी सल्तनत शाम में होगी।
तो अमीरे मुआविया की बादशाही अगर्चे सल्तनत है मगर किसकी! मुहम्मद रसूलअल्लाह ﷺ की सल्तनत है। सय्यदुना इमाम हसन मुज्तबा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ ने एक फौजे जर्रार जांनिसार के साथ ऐन मैदान में बिलक़स्द व बिल इख्तियार हथियार रख दीए और ख़िलाफ़त अमीरे मुआविया को सुपुर्द कर दी और उनके हाथ पर बेअत फरमा ली और इस सुलह को हुज़ूरे अक़दस ﷺ ने पसन्द फरमाया और इसकी बशारत दी कि इमाम हसन की निस्बत फरमाया: मेरा येह बेटा सय्यद है, मैं उम्मीद फरमाता हूं कि अल्लाह عَزَّوَجَلَّ इस के बाइस दो बड़े गिरोहे इस्लाम में सुलह करा दे।
तो अमीरे मुआविया पर معاذاللہ फ़िसक वगैरा का तान करने वाला हक़ीक़तन हज़रत इमाम हसन मुज्तबा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ बल्कि हुज़ूर सय्यदे आलम ﷺ बल्कि अल्लाह तआला पर तान करता है।

खुलफ़ाए राशिदीन का बयान मुक़म्मल हुआ अब انشاءاللہ अहले बैत अतहार के बारे में पोस्ट होगी

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खुलफ़ाए राशिदीन पार्ट - 2

📚फ़र्ज़ उलुम 79
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 79

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 ⏳खुलफ़ाए राशिदीन  رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم (पार्ट 2)

🍃सवाल🍂: खुलफ़ाए अरबा के बाद सहाबा में कौन अफ़ज़ल है?
🍂जवाब🍃: खुलफ़ाए अरबा राशिदीन के बाद बकिय्या अशरह मुबशशरह व हज़रात हसनैन व असहाबे बद्र व ओहद व असहाबे बेअते रिज़वान के लिए अफ़ज़लियत है, और येह सब क़तअई जन्नती है।

🍃सवाल🍂: ख़िलाफ़ते राशिदा कितना अरसा रही?
🍂जवाब🍃: मिन्हाजे नुबुव्वत पर ख़िलाफ़ते हक़ राशिदा तीस साल रही कि सय्यदुना इमाम हसन मुज्तबा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ के छह महीने पर खत्म हुई, फिर अमीरुल मोमिनीन उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ की खिलाफत राशिदा हुई और आखिर ज़माना में हज़रत सय्यदुना इमाम महदी رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ होंगे।

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खुलफ़ाए राशिदीन पार्ट - 1

📚फ़र्ज़ उलुम 78
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 78

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 ⏳खुलफ़ाए राशिदीन  رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم (पार्ट 1)

🍃सवाल🍂: खुलफ़ाए राशिदीन से मुराद कौन है?
🍂जवाब🍃: नबी ﷺ के बाद ख़लीफ़ा बरहक़ व इमामे मुतलक़ हज़रत सय्यदुना अबु बक्र सिद्दीक़ फिर हज़रत उमर फारूक फिर हज़रत उस्मान गनी फिर हज़रत मौला अली फिर छह महीने के लिए हज़रत इमाम हसन मुज्तबा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم हुए इन हज़रात को खुलफ़ाए राशिदीन और इनकी ख़िलाफ़त को ख़िलाफ़ते राशिदा कहते है कि उन्होंने हुज़ूर ﷺ की सच्ची नियाबत का पूरा हक अदा फरमाया।

🍃सवाल🍂: खुलफ़ाए अरबा (चार खुलफ़ा) में अफ़ज़लियत की तरतीब क्या है?
🍂जवाब🍃: अम्बिया व मुरसलीन के बाद सबसे अफ़ज़ल सिद्दीके अकबर फिर उमर फारूके आज़म फिर उस्मान गनी फिर मौला अली رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم , इनकी ख़िलाफ़त फ़ज़ीलत की तरतीब पर है यानी जो इंदल्लाह अफ़ज़ल व आला व अकरम था वही पहले ख़िलाफ़त पाता गया न कि अफ़ज़लियत बर तरतीब ख़िलाफ़त।

🍃सवाल🍂: जो शख़्स मौला अली رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ को शैखेन करीमेन (अबु बक्र व उमर رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُما) से अफ़ज़ल बताए उसके बारे में क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: जो शख़्स मौला अली کرم اللہ وجہہ الکریم को सिद्दीक़ या फारूक़ رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُما से अफ़ज़ल बताए गुमराह बदमज़हब है।

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Thursday, August 13, 2020

सहाबए किराम ‎पार्ट ‎- ‏5

📚फ़र्ज़ उलुम 77
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 77

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सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم (पार्ट 5)

🍃सवाल🍂: हज़रत मौला अली رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ और हज़रत अमीरे मुआविया رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ के माबेन जो इख़्तिलाफ़ हुआ उस बारे में अहले सुन्नत का क्या नज़रिया हैं?
🍂जवाब🍃: हज़रत अमीरे मुआविया رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ मुजतहिद थे और मुजतहिद से सवाब व खता दोनों सादिर होते है। मगर मुजतहिद की खता पर इंदल्लाह असलन मवाखज़ नहीं। हज़रत अमीरे मुआविया رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ का हज़रत सय्यदुना अमीरुल मोमिनीन अली मूर्तज़ा  کرم اللہ وجہہ الکریم से खिलाफ खता इज्तेहादी था और फैसला वो जो खुद रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया कि मौला अली की डिग्री और अमीरे मुआविया की मगफिरत رَضِىَ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن

🍃सवाल🍂: बाज़ लोग कहते है कि हज़रत अली  کرم اللہ وجہہ الکریم के साथ अमीरे मुआविया رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ का नाम आए तो हज़रत अमीरे मुआविया के नाम के साथ رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ न कहा जाए।
🍂जवाब🍃: येह जो बाज़ जाहिल कहा करते है कि जब हज़रत मौला अली  کرم اللہ وجہہ الکریم के साथ अमीरे मुआविया رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ का नाम लिया जाए तो رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ न कहा जाए महज़ बातिल व बे असल है। उलमाए किराम ने सहाबा के इस्माए तैय्यबा के साथ मुतलकन "رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ" कहने का हुक़्म दिया है, येह इसतीसना नई शरीअत घड़ना हैं।

सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم   का बयान मुक़म्मल हुआ انشاءاللہ अब खुलफ़ाए राशिदीन का बयान पोस्ट होगा



अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

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मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

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सहाबए किराम ‎पार्ट ‎- ‏4

📚फ़र्ज़ उलुम 76
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 76

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 ⭕सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم (पार्ट 4)

🍃सवाल🍂: हज़रत अमीरे मुआविया رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ के मुताल्लिक़ अहले सुन्नत का क्या अक़ीदा है?
🍂जवाब🍃: हज़रत अमीरे मुआविया رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ रसूल अल्लाह ﷺ के सहाबी हैं। सहीह बुखारी में है कि हज़रत इब्ने अब्बास رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ से किसी ने अमीरे मुआविया का तजकिरा किया तो आप ने फरमाया वो रसूल अल्लाह ﷺ के सहाबी हैं।
और अहले सुन्नत का अक़ीदा है कि तमाम सहाबा अहले हक़, अहले खैर और आदिल है।

🍃सवाल🍂: क्या हज़रत अमीरे मुआविया رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ मुजतहिद सहाबी हैं?
🍂जवाब🍃: जी हाँ! हज़रत अमीरे मुआविया رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ मुजतहिद थे, उनके मुजतहिद होने का बयान सहीह बुखारी शरीफ में मौजूद हज़रत सय्यदुना अब्दुल्लाह बिन अब्बास رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُما की हदीस पाक में है।

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Monday, August 3, 2020

सहाबए किराम ‎पार्ट ‎- ‏3

📚फ़र्ज़ उलुम 75
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 75

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 ⭕सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم (पार्ट 3)

🍃सवाल🍂: क्या तमाम सहाबा जन्नती है?
🍂जवाब🍃: जी हाँ! तमाम सहाबए किराम जन्नती हैं वो जहन्नम की भेंक ( हल्की आवाज़ भी) न सुनेगें और हमेशा अपनी मन मानती मुरादों में रहेंगे, महशर की वो बड़ी घबराहट इन्हें गमगीन न करेगी, फ़रिश्ते इनका इस्तक़बाल करेंगे कि येह है वो दिन जिसका तुम से वादा था, येह सब मज़मून क़ुरआने अज़ीम का इरशाद है।

🍃सवाल🍂: सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم  की लग्ज़िशों पर उनकी गिरफ्त करना कैसा है?
🍂जवाब🍃: सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم अम्बिया न थे, फ़रिश्ते न थे कि मासूम हों। उनमें बाज़ के लिए लग्ज़िश हुई मगर उनकी किसी बात पर गिरफ्त अल्लाह عَزَّوَجَلَّ व रसूल ﷺ के खिलाफ है। अल्लाह عَزَّوَجَلَّ ने "सूरह हदीद" में जहां सहाबा की दो किस्में फरमाई मोमिनीन क़ब्ले फतहे मक्का और बादे फतहे मक्का और उनको इन पर तफ़ज़ील दी इरशाद और फ़रमा दिया: 【 وَ كُلًّا وَّعَدَ اللّٰهُ الْحُسْنٰى】तर्जुमा: सबसे अल्लाह ने भलाई का वादा फ़रमा लिया।
साथ ही इरशाद फरमाया दिया : 【وَ اللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرٌ】तर्जुमा: अल्लाह खूब जानता है जो कुछ तुम करोगे।
(पारह 27, सूरह अल हदीद, आयत 10)
तो जब उसने उनके तमाम आमाल जान कर हुक़्म फ़रमा दिया कि उन सबसे हम जन्नते बे अज़ाब व करामत व सवाब का वादा फ़रमा चुके तो दूसरे को क्या हक़ रहा कि उनकी किसी बात पर तान करे..?! क्या तान करने वाला अल्लाह عَزَّوَجَلَّ से जुदा अपनी मुस्तकिल हुक़ूमत क़ाइम करना चाहता है।

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सहाबए किराम ‎पार्ट ‎- ‏2

📚फ़र्ज़ उलुम 74
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 74

            بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 ⭕सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم (पार्ट 2)

🍃सवाल🍂: किसी सहाबी के साथ (معاذاللہ) बुग्ज़ रखना कैसा है?
🍂जवाब🍃: किसी सहाबी के साथ सूऐ अक़ीदत बदमज़हबी व गुमराही व इसतहकाके जहन्नम है कि वो हुज़ूरे अक़दस ﷺ के साथ बुग्ज़ है, ऐसा शख़्स राफ़ज़ी है अगर्चे चारों खुल्फ़ा को माने और अपने आपको सुन्नी कहे मसलन हज़रत अमीरे मुआविया और उनके वालिदे माजिद हज़रत अबु सुफ़यान और वालिदा माजिदा हज़रत हिन्दा इसी तरह हज़रत सय्यदुना अम्र व बिन आस व हज़रत मुगीरा बिन शेबा व हज़रत अबु मूसा अश्अरी رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم , हत्ता कि हज़रत वहशी رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ जिन्होंने क़ब्ले इस्लाम हज़रत सय्यदुना सय्यदुशशोहदा हम्ज़ा رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْهُ को शहीद किया और बादे इस्लाम अख़बसुन्नास ख़बिस मुस्लिमाह कज़्ज़ाब मलऊन को वासिले जहन्नम किया। वो खुद फरमाया करते थे कि मैंने खैरुन्नास व शर्रुन्नास को क़त्ल किया, इनमें से किसी की शान में गुस्ताखी गुमराही है और इसका क़ाइल राफ़ज़ी अगर्चे हज़रते शैखेन رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُما की तौहीन के मिस्ल नहीं हो सकती कि उनकी तौहीन बल्कि उनकी ख़िलाफ़त से इन्कार ही फुक़हाए किराम के नज़दीक कुफ़्र है।

🍃सवाल🍂: सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم  के जो आपसी इख़्तिलाफात हुए उनमे पडना और एक कि तरफदारी करते हुए दूसरे को बुरा कहना कैसा है?
🍂जवाब🍃: सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم  के बाहम जो वाकिआत हुए उनमें पड़ना हराम हराम सख्त हराम है, मुसलमानों को तो यह देखना चाहिए कि वो सब हज़रात आक़ा ए दो आलम ﷺ के जांनिसार और सच्चे गुलाम हैं।


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सहाबए किराम ‎पार्ट ‎- ‏1

📚फ़र्ज़ उलुम 73
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 73

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 ⭕सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم (पार्ट 1)

🍃सवाल🍂: सहाबी किसे कहते है?
🍂जवाब🍃: नबी करीम ﷺ को जिस मुसलमान ने ईमान की हालत में देखा और ईमान ही पर उसका खात्मा हुआ उस बुज़ुर्ग हस्ती को सहाबी कहते है।

🍃सवाल🍂: सहाबा के बारे में हमारा क्या ए'अतिक़ाद होना चाहिए?
🍂जवाब🍃: तमाम सह़ाबए किराम رِضْوَانُ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْھِمْ اَجْمَعِیْن अहले खैर और आदिल हैं, इनका जब ज़िक्र किया जाए खैर ही के साथ होना फ़र्ज़ है।

🍃सवाल🍂: क्या कोई वली किसी सहाबी के रुतबे को पहुँच सकता है?
🍂जवाब🍃: कोई वली कितने ही बड़े मर्तबे का हो किसी सहाबी के रुतबे को नही पहुँचता।

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Thursday, June 25, 2020

कुफ़्रिया कलिमात का बयान पार्ट- 9

📚फ़र्ज़ उलुम 72
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 72

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 ⭕कुफ़्रिया कलिमात का बयान (पार्ट 9)

🍃सवाल🍂: तजदीदे निकाह कैसे किया जाए?
🍂जवाब🍃: इसके लिए लोगों को इकट्ठा करना ज़रूरी नहीं। निकाह नाम है इजाब व क़ुबूल का। हाँ बवक़्ते निकाह बतौरे गवाह कम अज़ कम दो मर्द मुसलमान या एक मर्द मुसलमान और दो मुसलमान औरतों का हाज़िर होना लाजमी है। खुतबाए निकाह शर्त नहीं बल्कि मुस्तहब है। खुतबा याद न हो तो اعوذ باللہ और بسم اللہ शरीफ के बाद सूरह फातेहा भी पढ़ सकते है। कम अज़ कम दस दिरहम यानी दो तोला साढ़े सात माशा चाँदी ( मौजूदा वज़न के हिसाब से 30 ग्राम 618 मिलीग्राम चाँदी) या उसकी रकम महर वाजिब है। अब मज़कूरा गवाहों की मौजूदगी में आप " इजाब" कीजिए यानी औरत से कहिए : मैंने (30 ग्राम 618 मिलीग्राम चाँदी की कीमत जो हो ) रुपये महर के बदले आपसे निकाह किया। औरत कहे: मैंने क़ुबूल किया। निकाह हो गया। येह भी हो सकता है कि औरत "इजाब" करे और मर्द कहे: मैंने क़ुबूल किया" निकाह हो गया। बाद निकाह अगर औरत चाहे तो महर मुआफ़ भी कर सकती है। मग़र मर्द बिला इज़ाज़ते शरअई औरत से महर माफ करने का सवाल न करे।

कुफ़्रिया कलिमात का बयान मुक़म्मल हुआ अब انشاءاللہ सहाबए किराम رَضِىَ اللهُ تَعَالىٰ عَنْھُم के बारे में पोस्ट होगी।

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कुफ़्रिया कलिमात का बयान पार्ट- 8

📚फ़र्ज़ उलुम 71
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 71

             بسم الله الرحمن الرحيم
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 ⭕कुफ़्रिया कलिमात का बयान (पार्ट 8)

🍃सवाल🍂: तजदीदे ईमान का तरीका बता दीजिए?
🍂जवाब🍃: जिस कुफ़्र से तौबा मक़सूद है उसी वक़्त मक़बूल होगी जबकि उस कुफ़्र को कुफ़्र तस्लीम करता हो और दिल में उस कुफ़्र से नफरत व बेज़ारी भी हो। जो कुफ़्र सरज़द हुआ तौबा में उसका तज़किरा भी हो। तौबा के लिए यूँ कहे: या अल्लाह عَزَّوَجَلَّ ! मैंने जो फलाँ कुफ़्र बोला है इस कुफ़्र से तौबा करता हूँ। 
لَآ اِلٰهَ اِلَّااللهُ مُحَمَّد رَّسُولُ اللہ ﷺ
(अल्लाह عَزَّوَجَلَّ के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं मुहम्मद ﷺ अल्लाह عَزَّوَجَلَّ के रसूल हैं), इस तरह मख़सूस कुफ़्र से तौबा भी हो गई और तजदीदे ईमान भी।
अगर معاذاللہ عَزَّوَجَلَّ कई कुफ़्रियात बके हो और याद न हो कि क्या क्या बका है तो यूँ कहे: या अल्लाह عَزَّوَجَلَّ ! मुझसे जो जो कुफ़्रियात सादिर हुए है मैं उन से तौबा करता हूँ, फिर कलमा पढ़ ले। (अगर कलमा शरीफ का तर्जुमा मालूम है तो ज़बान से तर्जुमा दोहराने की हाजत नहीं)।
अगर मालूम ही नहीं कि कुफ़्र बका भी है या नहीं तब भी अगर एहतियातन तौबा करना चाहे तो इस तरह कहे: या अल्लाह عَزَّوَجَلَّ ! अगर मुझसे कोई कुफ़्र हो गया हो तो मैं उससे तौबा करता हूँ। येह कहने के बाद कलमा पढ़ ले।


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कुफ़्रिया कलिमात का बयान पार्ट- 7

📚फ़र्ज़ उलुम 70
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 70

             بسم الله الرحمن الرحيم
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 ⭕कुफ़्रिया कलिमात का बयान (पार्ट 7)

🍃सवाल🍂: अगर दिल मे कुफ़्री बात का खयाल पैदा हुआ और इसे ज़बान से कहना बुरा जानता है, क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: कुफ़्री बात का दिल मे खयाल पैदा हुआ और ज़बान से बोलना बुरा जानता है तो कुफ़्र नहीं बल्कि खालिस ईमान की अलामत है कि दिल मे ईमान न होता तो उसे बुरा क्यों जनता।

🍃सवाल🍂: अगर कुफ़्र बका तो निकाह के बारे में क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: अगर कुफ़्र क़तअई हो तो औरत निकाह से निकल जाएगी फिर इस्लाम लाने के बाद अगर औरत राज़ी हो तो दोबारा उस से निकाह हो सकता है वरना जहां पसन्द करे निकाह कर सकती है इसका कोई हक नहीं कि औरत को दूसरे के साथ निकाह करने से रोक दे और अगर इस्लाम लाने के बाद औरत को बदस्तूर रख लिया दोबारा निकाह न किया तो क़ुरबत ज़िना होगी और बच्चे वलदुज़्ज़िना और अगर कुफ़्र क़तअई न हो यानी बाज़ उलमा कुफ़्र बताते हो और बाज़ नहीं यानी फुक़हा के नज़दीक क़ाफ़िर हो और मुताल्लिमिन के नज़दीक नहीं इस सूरत में भी तजदीदे इस्लाम व तजदीदे निकाह का हुक़्म दिया जाएगा।

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कुफ़्रिया कलिमात का बयान पार्ट- 6

📚फ़र्ज़ उलुम 69
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 69

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 ⭕कुफ़्रिया कलिमात का बयान (पार्ट 6)

🍃सवाल🍂: बाज़ लोग कहते है कि " क़ाफ़िर को भी क़ाफ़िर नहीं कहना चाहिए हमे क्या मालूम कि उसका खात्मा कुफ़्र पर होगा, इनका येह कहना कैसा है?
🍂जवाब🍃: ऐसा कहना बिल्कुल गलत है, क़ुरआने अज़ीम ने क़ाफ़िर को क़ाफ़िर कहा और कहने का हुक़्म दिया : {قُلْ یٰۤاَیُّهَا الْكٰفِرُوْنَۙ} और अगर ऐसा है तो मुसलमान को भी मुसलमान न कहो तुम्हे क्या मालूम कि इस्लाम पर मरेगा खात्मे का हाल तो खुदा जाने मगर शरीअत ने क़ाफ़िर व मुस्लिम में इम्तियाज रखा है।

🍃सवाल🍂: कहना कुछ चाहता है और ज़बान से कुफ़्रिया कलमा निकल गया, क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: कहना कुछ चाहता था और ज़बान से कुफ़्र की बात निकल गई तो क़ाफ़िर न हुआ यानी जबकि इस अम्र से इज़हारे नफरत करे कि सुनने वालों को भी मालूम हो जाए कि गलती से येह अल्फ़ाज़ निकला है और अगर बात की पच की (अपनी बात पर अड़ गया) तो अब क़ाफ़िर हो गया कि कुफ़्र की ताईद करता है।

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कुफ़्रिया कलिमात का बयान पार्ट- 5

📚फ़र्ज़ उलुम 68
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 68

             بسم الله الرحمن الرحيم
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 ⭕कुफ़्रिया कलिमात का बयान (पार्ट 5)

जारी....

📌(10) इस किस्म की बातें जिनसे रोज़ा की हतक व तहक़ीर हो कहना कुफ़्र है मसलन रोज़ाए रमज़ान नहीं रखता और कहता ये है कि रोज़ा वो रखें जिसे खाना न मिले या कहता है जब खुदा ने खाने को दिया है तो भूखे क्यों मरे।
📌(11) इल्मे दीन और उलमा की तौहीन बे सबब यानी मह्ज़ इस वजह से कि आलिमे इल्मे दीन है कुफ़्र है। यूँही आलिमे दीन की नक़्ल करना मसलन किसी को मिम्बर वगैरा किसी ऊंची जगह बिठाए और उस से मसाइल बतौर इस्तिह्ज़ा दरयाफ्त करे फिर उसे तकया वगैरा से मारे और मज़ाक़ बनाए येह कुफ़्र है।
📌(12) शरअ़ की तौहीन करना कुफ़्र है मसलन कहे में शरअ़ वरअ़ नहीं जानता या आलिमे दीन मोहतात का फ़तवा पेश किया गया उसने कहा में फ़तवा नहीं मानता या फ़तवा को ज़मीन पर पटक दिया। किसी शख़्स को शरीअत का हुक़्म बताया कि इस मुआमले में येह हुक़्म है उसने कहा हम शरीअत पर अमल नहीं करेंगे हम तो रस्म की पाबन्दी करेंगे ऐसा कहना बाज़ मशाइख़ के नज़दीक कुफ़्र है।
📌(13) मुसलमान को कलिमाते कुफ़्र की तालीम व तलक़ीन करना कुफ़्र है अगर्चे खेल और मज़ाक में ऐसा करे। किसी को कुफ़्र की तालीम की और येह कहा तू क़ाफ़िर हो जा, तो वो कुफ़्र करे या न करे, येह कहने वाला क़ाफ़िर हो गया।

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कुफ़्रिया कलिमात का बयान पार्ट- 4

📚फ़र्ज़ उलुम 67
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 67

             بسم الله الرحمن الرحيم
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 ⭕कुफ़्रिया कलिमात का बयान (पार्ट 4)⭕

जारी....

📌(8) क़ुरआन की किसी आयात को ऐब लगाना या उसके साथ मसखरापन करना कुफ़्र है मसलन दाढ़ी मुंढाने से मना करने पर अक्सर दाढ़ी मूढ़े कह देते है { َکَلَّا سَوْفَ تَعْلَمُوْن } जिसका ये मतलब बयान करते है कि कल्ला साफ करो ये क़ुरआन मजीद की तहरीफ़ व तब्दील भी है और इसके सफ़ह मज़ाक और दिल लगी भी और ये दोनों बातें कुफ़्र, इसी तरह अक्सर बातों में क़ुरआन मजीद की आयतें बे मौका पढ़ दिया करते है और मक़सूद हँसी करना होता है जैसे किसी को नमाज़ जमाअत के लिए बुलाया, वो कहने लगा में जमाअत से नहीं बल्कि तन्हा पढूंगा क्योंकि अल्लाह तआ़ला फरमाता है: {اِنَّ الصَّلٰوۃَ تَنْھٰی} ।
📌(9) इस किस्म की बात करना जिससे नमाज़ की फ़र्ज़िय्यत का इन्कार समझा जाता हो या नमाज़ की तहक़ीर  (तौहीन) होती हो कुफ़्र है मसलन किसी ने नमाज़ पढ़ने को कहा उसने जवाब दिया नमाज़ पड़ता तो हूँ मगर उसका कुछ नतीज़ा नहीं या तुमने नमाज़ पढ़ी क्या फायदा हुआ या कहा नमाज़ पढ़ के क्या करूँ किसके लिए पढूं माँ बाप तो मर गए या कहना बहुत पढ़ ली अब दिल घबरा गया या कहा पढ़ना न पढ़ना दोनों बराबर है। यूँही कोई शख़्स सिर्फ रमज़ान में नमाज़ पढ़ता है बाद में नहीं पढ़ता और कहता ये है कि यही बहुत है या जितनी पढ़ी यही ज्यादा है क्योंकि रमज़ान में एक नमाज़ सत्तर नमाज़ के बराबर है ऐसा कहना कुफ़्र है इसलिए कि इससे नमाज़ की फ़र्ज़िय्यत का इन्कार मालूम होता है।

अगली पोस्ट में जारी रहेगा انشاءاللہ

📓 फैज़ान ए फ़र्ज़ उलूम अव्वल
मुसन्निफ़ - हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती हाशिम अत्तारी अल मदनी دامت برکاتہم العالیہ

🌹ख़ानक़ाह ए अशरफ़ीया सरकार ए बुरहानपुर🌹

Sunday, June 7, 2020

कुफ़्रिया कलिमात का बयान पार्ट- 3

📚फ़र्ज़ उलुम 66
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 66

             بسم الله الرحمن الرحيم
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ

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 ⭕कुफ़्रिया कलिमात का बयान (पार्ट 3)

जारी...

📌(6) जो शख़्स हुज़ूरे अक़दस ﷺ को तमाम अम्बिया में आखिरी नबी न जाने या हुज़ूर ﷺ की किसी चीज़ की तौहीन करे या ऐब लगाए आपके मुए मुबारक (बाल मुबारक) को तहक़ीर (यानी हकारत) से याद करे आपके लिबास मुबारक को गन्दा और मेला बताए हुज़ूर ﷺ के नाखून बड़े बड़े कहे ये सब कुफ़्र है।
यूँही किसी ने ये कहा कि हुज़ूरे अक़दस ﷺ खाना तनावुल फरमाने के बाद तीन बार अंगुश्तहाए मुबारक (यानी मुबारक उंगलिया) चाट लिया करते थे, इस पर किसी ने कहा ये अदब के खिलाफ है या किसी सुन्नत की तहक़ीर (यानी तौहीन) करे मसलन दाढ़ी बढ़ाना, मूँछे कम करना, इमामा बाँधना या शम्ला लटकाना इनकी इहानत (या'नी गुस्ताखी) कुफ़्र है जबकि सुन्नत की तौहीन मक़सूद हो।

📌(7)जिब्राइल या मीकाईल या किसी फरिश्ता को जो शख़्स ऐब लगाए या तौहीन करे कुफ़्र है। दुश्मन व मबगु़ज़ (यानी जिससे बुग्ज़ हो उस) को देख कर ये कहा कि मलकुल मौत आ गए या कहा इसे वैसा ही दुश्मन जानता हूँ जैसा मलकुल मौत को, इसमें अगर मलकुल मौत को बुरा कहना है तो कुफ़्र है और मौत की नापसंदगी की बिना पर है तो कुफ़्र नहीं।

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कुफ़्रिया कलिमात का बयान पार्ट- 2

📚फ़र्ज़ उलुम 65
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 65

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 ⭕कुफ़्रिया कलिमात का बयान (पार्ट 2)

जारी.....

📌(3) अल्लाह तआ़ला के अज़ाब को हल्का जानना कुफ़्र है, लिहाज़ा किसी से कहा गुनाह न कर वरना खुदा तुझे जहन्नम में डालेगा उसने कहा मैं जहन्नम से नहीं डरता या कहा खुदा के अज़ाब की कुछ परवाह नहीं। या एक ने दूसरे से कहा तु खुदा से नहीं डरता उसने गुस्से में कहा नहीं या कहा खुदा क्या कर सकता है इसके सिवा क्या कर सकता है कि दोज़ख में डाल दे ये सब कुफ़्र के कलिमात हैं।
📌(4) अल्लाह तआ़ला पर एतराज़ भी कुफ़्र है लिहाजा किसी मिस्कीन ने अपनी मोहताजी को देख कर ये कहा ए खुदा! फलाँ भी तेरा बन्दा है उसको तूने कितनी नेअमतें दे रखी है और मैं भी तेरा बन्दा हूँ मुझे किस कदर रंज व तकलीफ देता है आखिर ये क्या इंसाफ है ऐसा कहना कुफ़्र है। युही मसाइब में मुब्तिला हो कर कहने लगा तूने मेरा माल लिया और औलाद ले ली और ये लिया वो लिया अब क्या करेगा और क्या बाकी है जो तूने न किया इस तरह बकना कुफ़्र है।
📌(5) अम्बिया عَلَ‍یْھِمُ السَّلَام की तौहीन करना उनकी जनाब में गुस्ताखी करना या उन को फ़वाहिश व बेहयाई की तरफ मंसूब करना कुफ़्र है मसलन  معاذاللہ यूसुफ عَلَ‍یْهِ السَّلَام की ज़िना की तरफ निस्बत करना।

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कुफ़्रिया कलिमात का बयान पार्ट- 1

📚फ़र्ज़ उलुम 64
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 64

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 ⭕कुफ़्रिया कलिमात का बयान (पार्ट 1)

🍃सवाल🍂: आजकल जहालत आम है लोग जहालत की वजह से बाज़ अवकात ऐसे अल्फ़ाज़ भी बोल देते है जो हराम बल्कि कुफ़्रिया होते है, ऐसे कलिमात से बचने के लिए उनका इल्म हासिल करने का क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: हराम अल्फ़ाज़ और कुफ़्रिया कलिमात के मुताल्लिक़ इल्म सीखना फ़र्ज़ है।

🍃सवाल🍂: हमें कैसे मालूम होगा कि फुला कलमा कुफ़्रिया है?
🍂जवाब🍃: इसकी पहचान के लिए दर्ज ज़ेल क़वाईद को ज़हन नशीन करलें:
📌(1) अल्लाह तआ़ला को आजिज़ कहना कुफ़्र है लिहाज़ा ऐसे कलिमात कुफ़्रिया होंगे जिनसे अल्लाह तआ़ला का आजिज़ होना मालूम हो, जैसे किसी ज़बान दराज़ आदमी से ये कहना कि खुदा तुम्हारी ज़बान का मुक़ाबला कर ही नहीं सकता में किस तरह करूँ ये कुफ़्र है। यूँही एक ने दूसरे से कहा अपनी औरत को क़ाबू में नहीं रखता उसने कहा औरतों पर खुदा को तो क़ुदरत है नहीं मुझको कहां से होगी।
📌(2) खुदा के लिए मकान साबित करना कुफ़्र है कि वो मकान से पाक है येह कहना कि ऊपर खुदा है नीचे तुम ये कल्माए कुफ़्र है।

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Thursday, June 4, 2020

ईमान और कुफ़्र का बयान पार्ट- 4

📚फ़र्ज़ उलुम 63
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 63

             بسم الله الرحمن الرحيم
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🔸 ईमान और कुफ़्र का बयान (पार्ट 4)🔸

🍃सवाल🍂: क्या कबीरा गुनाह करने वाला मुसलमान है?
🍂जवाब🍃: जी हाँ! मुरतकिबे कबीरा मुसलमान हैं और जन्नत में भी जाएगा ख्वाह अल्लाह عَزَّوَجَلَّ अपने फ़ज़ल से उसकी मग़फ़िरत फ़रमा दे या हुज़ूरे अक़दस ﷺ की शफाअत के बाद या अपने किए की कुछ सज़ा पाकर, उसके बाद कभी जन्नत से न निकाला जाएगा।

🍃सवाल🍂: जो किसी क़ाफ़िर के मरने के बाद उसके लिए मग़फ़िरत की दुआ करे उसके लिए क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: जो किसी क़ाफ़िर के लिए उसके मरने के बाद मग़फ़िरत की दुआ करे या किसी मुर्दा मुर्तद को मरहूम या मगफ़ुर या किसी मुर्दा हिन्दू को बैकुण्डवासी कहे, वो खुद काफिर है।

🍃सवाल🍂: क्या ऐसे आमाल भी है जिनका करना कुफ़्र हो?
🍂जवाब🍃: जी हाँ! बाज़ आमाल जो क़तअन मुनाफी ईमान हो उनके मुरतकिब को क़ाफ़िर कहा जाएगा, जैसे बुत या चाँद सूरज को सज्दा करना और क़त्ले नबी या नबी की तौहीन या मुस्ह़फ़ शरीफ या काबा मुअज़्ज़मा की तौहीन येह बातें यकीनन कुफ़्र है।
यूँ ही बाज़ आमाल कुफ़्र की अलामत है, जैसे जुन्नार बांधना, सर पर चुटिया रखना, क़शफा लगाना ऐसे अफ़आल के मुरतकिब को फुक़हाए किराम क़ाफ़िर कहते है, तो जब इन आमाल से कुफ़्र लाज़िम आता है तो इनके मुरतकिब को अज़ सरे नो इस्लाम लाने और इसके बाद अपनी औरत से तजदीदे निकाह का हुक़्म दिया जाएगा।


ईमान और कुफ़्र का बयान मुकम्मल हुआ फ़र्ज़ उलूम में अब انشاءاللہ कुफ़्रिया कलीमात का बयान पोस्ट किया जाएगा

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ईमान और कुफ़्र का बयान पार्ट- 3

📚फ़र्ज़ उलुम 62
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 62

             بسم الله الرحمن الرحيم
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🔸 ईमान और कुफ़्र का बयान (पार्ट 3)🔸

🍃सवाल🍂: अगर किसी को इकराह (मजबूर) किया गया कि वो कलमाए कुफ़्र बोले वरना क़त्ल कर दिया जाएगा तो क्या हुक़्म है?
🍂जवाब🍃: अगर معاذاللہ कलमाए कुफ़्र जारी करने पर कोई शख़्स मजबूर किया गया यानी उसे मार डालने या उस का आ'जू काट डालने की सहीह धमकी दी गई कि येह धमकाने वाले को इस बात के करने पर कादिर समझे तो ऐसी हालत में इसको रुखसत दी गई है कि ज़बान से कलमाए कुफ़्र कह दे मगर शर्त येह है कि दिल में वही इत्मिनाने ईमानी हो जो पेश्तर था, और अफ़ज़ल जब भी यही है कि क़त्ल हो जाए मगर कलमाए कुफ़्र न कहे।

🍃सवाल🍂: क्या ईमान व कुफ़्र के दरमियान कोई वास्ता है?
🍂जवाब🍃: ईमान व कुफ़्र में वास्ता नहीं यानी आदमी या मुसलमान होगा या काफिर तीसरी सूरत कोई नहीं कि न मुसलमान हो न काफिर।

🍃सवाल🍂: मुर्तद से क्या मुराद है?
🍂जवाब🍃: मुर्तद वो शख़्स है कि इस्लाम के बाद कुफ़्र की तरफ फीर जाए यानी किसी ऐसे अम्र का इन्कार करे जो ज़रूरियाते दीन से है, उसके इस फैल को इर्तिदाद कहते है।

🍃सवाल🍂: मुनाफ़िक़ किसे कहते है?
🍂जवाब🍃: जो शख़्स ज़बान से दावा इस्लाम करे और दिल मे इस्लाम का मुनकिर हो उसे मुनाफ़िक़ कहते है। उसके इस फैल को निफ़ाक़ कहते है।

🍃सवाल🍂: मुशरिक से क्या मुराद है?
🍂जवाब🍃: जो शख़्स ग़ैरे खुदा को वाजिबुल वुजूद या इबादत के लायक जाने वो मुशरिक है और येह कुफ़्र की सबसे बदतर किस्म है। उस शख़्स के इस फैल को शिर्क कहते है।


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ईमान और कुफ़्र का बयान पार्ट- 2

📚फ़र्ज़ उलुम 61
🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 61

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🔸 ईमान और कुफ़्र का बयान (पार्ट 2)🔸

🍃सवाल🍂: क्या मोमिन होने के लिए सिर्फ दिल से तस्दीक काफी है या ज़बान से इक़रार भी ज़रूरी है?
🍂जवाब🍃: असले ईमान सिर्फ तस्दीक का नाम है, रहा इक़रार इसमें ये तफसील है कि अगर तस्दीक के बाद इसको इज़हार का मौका न मिला तो इन्दल्लाह (अल्लाह तआ़ला के नज़दीक) मोमिन है और अगर मौका मिला और उससे मुतालबा किया गया और इक़रार न किया तो काफिर है और अगर मुतालबा न किया गया तो अहकाम दुनिया में काफिर समझा जाएगा न उसके जनाज़े की नमाज़ पढेंगे न मुसलमानों के कब्रस्तान में दफ़न करेंगे मगर इन्दल्लाह मोमिन है अगर कोई अम्र ख़िलाफ़े इस्लाम ज़ाहिर न किया हो।

🍃सवाल🍂: क्या आमाले बदन ईमान का हिस्सा है?
🍂जवाब🍃: आमाले बदन तो असलन ईमान का जुज़व नहीं।

🍃सवाल🍂: क़ाफ़िर असली किसे कहते है?
🍂जवाब🍃: जो इस्लाम न लाए उसे काफिर कहते है।

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महबूबाने ख़ुदा का वसीला पार्ट - 6

📚फ़र्ज़ उलुम 106 🔖अक़ाइद का बयान पार्ट - 106              بسم الله الرحمن الرحيم الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ 〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰  🌺 महबूबाने...